केरल के सबरीमला स्थित स्वामी अयप्पा के मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश करने के बाद पूरे राज्य में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन में ज़ख़्मी एक व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई है। विपक्ष पूरे राज्य में 'काला दिवस' मना रहा है, कई विश्वविद्यालयों ने परीक्षाएं टाल दी हैं। पुलिस प्रमुख ने जन जीवन अस्तव्यस्त न हो, यह सुनिश्चत करने का आदेश दिया है।
सबरीमला कर्म समिति इन प्रदर्शनों की अगुआई कर रही है। यह एक शीर्ष संस्था है, जिसके तहत कई संगठन हैं। समिति के कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर पुलिस पर पथराव भी किए हैं। बड़ी तादाद में पुलिस वालों को तैनात किया गया है।
Kerala CM Pinarayi Vijayan on #Sabarimala Karma Samiti worker who was injured y'day in clash in Pandalam&later succumbed to his injuries: There was a clash in Pandalam last evening.Chandran Unnithan was injured&was taken to hospital who later died in hospital due to heart attack pic.twitter.com/v9wIfpAazb
— ANI (@ANI) January 3, 2019
काला दिवस
बुधवार को फैली हिंसा में बुरी तरह ज़ख़्मी हुए 55 वर्षीय चंद्रन उन्नीथन की मौत पंडालम के एक अस्पताल में हो गई। भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के समर्थकों के बीच हुई पत्थरबाजी में एक पत्थर उनके सिर पर जा लगा था। पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले की अलग से जाँच कर रही है। विपक्षी दलों के गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट ने पूरे राज्य में गुरुवार को 'काला दिवस' मनाने का फ़ैसला किया है। इन दलों का कहना है कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के दाख़िल होने से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने इसके लिए पी विजयन की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है।
बीजेपी ने यूडीएफ़ के विरोध प्रदर्शन और काला दिवस मनान के निर्णय का समर्थन किया है, हालाँकि वह इस मोर्चे में शामिल नहीं है। केरल विश्वविद्यालय के अलावा कन्नूर, महात्मा गाँधी विश्वविद्यालय और कालीकट विश्वविद्यालय ने गुरुवार को होने वाली परीक्षाएँ टाल दी हैं। केरल के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहेरा ने सभी ज़िला पुलिस प्रमुखों से कहा है कि वे पूरी तरह चौकस रहें, सभी एहतियातन क़दम उठाएँ और यह सुनिश्चित करें कि आम जन जीवन किसी तरह अस्तव्यस्त न हो।
यह आंदोलन केरल के बाहर भी फैल रहा है। तमिलनाडु में केरल पर्यटन विकास निगम और कुछ दूसरे सरकारी दफ़्तरों पर लोगों ने पथराव किए हैं।
बुधवार तड़के दो महिलाओं ने सबरीमला मंदिर में प्रवेश कर इतिहास रच दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर के अंत में यह फ़ैसला दिया था कि अयप्पा के मंदिर में किसी भी उम्र की महिलाएँ जा सकती है। उसके पहले माहवारी की उम्र की औरतों का प्रवेश मना था।
अयप्पा के नाम पर राजनीति?
यह पूरा मामला शुरू में ही राजीतिक बना दिया गया। राज्य की राजनीति में हाशिए खड़ी बीजेपी पिछली बार विधानसभा की एक सीट निकाल पाई थी। यह केरल के इतिहास में उसकी इकलौती जीत है। पर वह इससे इस तरह उत्साहित है कि उसने सबरीमला पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया। वह इसके बहाने सीधे राज्य सरकार पर निशाना साध रही है और अपने पैर पसार रही है। कांग्रेस पहले सबरीमला मंदिर मे महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में थी, पर बाद वह बीजेपी के पीछे खड़ी हो गई। इन सभी दलों ने एक साथ मिल कर राज्य सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा कर दिया है। राज्य सरकार इससे कैसे निपटती है, यह जल्द ही साफ़ हो जाएगा।
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