केरल में वामपंथी पार्टियाँ अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं। फिलहाल देशभर में सिर्फ़ केरल में ही वामपंथी सत्ता में हैं और अगर लोकसभा चुनाव में यहाँ उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो यहाँ से भी उनके सफाये की भूमिका तैयार हो जाएगी।