एक ओर उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे सूबे, जहां बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं, वहां बीते विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने किसी मुसलिम को टिकट नहीं दिया और स्थानीय निकाय के चुनावों में भी वह उन्हें ज़्यादा अहमियत नहीं देती। दूसरी ओर, केरल के स्थानीय निकाय के चुनावों में उसने 100 से ज़्यादा मुसलिम नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है।
केरल: बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग, मुसलिम-ईसाई समुदाय को दिए टिकट
- केरल
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- 2 Dec, 2020
केरल के विधानसभा चुनाव में महज 6 महीने का वक़्त बचा है। ऐसे में बीजेपी मुसलिम-ईसाई समुदाय की इस सोशल इंजीनियरिंग और हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण से अपनी सियासी ज़मीन को पुख़्ता करने की कोशिश में है।

यह बीजेपी के उस चरित्र के भी ख़िलाफ़ है, जिसके तहत कुछ दिन पहले ही कर्नाटक की बीजेपी सरकार के मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने कहा था कि उनकी पार्टी किसी को भी टिकट दे देगी लेकिन किसी मुसलिम को उम्मीदवार नहीं बनाएगी। जबकि केरल और कर्नाटक पड़ोसी राज्य हैं।