केरल में विधानसभा चुनाव होने तक वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के बीच किसी भी स्तर पर ‘दोस्ती’ नहीं रहेगी और दोनों एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी की तरह बर्ताव करेंगे। अगले साल मई माह में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी वामपंथी मोर्चा को मुख्य चुनौती कांग्रेस से ही मिलने वाली है।
केरल: विधानसभा चुनाव तक वामपंथियों से हाथ नहीं मिलाएगी कांग्रेस
- केरल
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- 16 Sep, 2020

केरल में विधानसभा चुनाव होने तक वामपंथी पार्टियों और कांग्रेस के बीच किसी भी स्तर पर ‘दोस्ती’ नहीं रहेगी और दोनों एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी की तरह बर्ताव करेंगे।
केरल के सभी वामपंथी नेता मानते हैं कि अगर राष्ट्रीय स्तर पर या फिर किसी अन्य स्तर पर कांग्रेस से राजनीतिक दोस्ती निभाई गई तो इसका सीधा नुक़सान वाम मोर्चा सरकार को होगा। उधर, राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने आलाकमान से साफ कह दिया है कि केरल में विधानसभा चुनाव होने तक राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी नेताओं के साथ किसी तरह की बैठक न की जाये और वामपंथियों के समर्थन में किसी तरह का कोई बयान न दिया जाये।
सूत्रों ने बताया कि केरल के कांग्रेसी नेताओं के दबाव की वजह से ही पिछले दिनों विपक्षी मुख्यमंत्रियों की बैठक में केरल के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता पिनराई विजयन को नहीं बुलाया गया। इस बैठक की अध्यक्षता स्वयं सोनिया गांधी ने की थी। बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ सभी कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया था।