loader

कांग्रेस को झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ का डर

कांग्रेस को डर है कि झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत बीजेपी उसके विधायकों में सेंध लगा सकती है। कांग्रेस को यह डर राष्ट्रपति चुनाव में हुई वोटिंग के बाद पैदा हुआ है। 81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में राष्ट्रपति चुनाव में कुल 79 विधायकों ने वोटिंग की। 

79 में से कुल 70 वोट एनडीए की ओर से जीतीं उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में पड़े जबकि कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को सिर्फ 9 वोट मिले। 

सवाल यह है कि जब राज्य में कांग्रेस के पास 18 विधायक हैं, आरजेडी, सीपीआई(एमएल) और एनसीपी के पास 1-1 विधायक हैं तो फिर यशवंत सिन्हा को 9 ही वोट कैसे मिले। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास 30, बीजेपी के पास 26 विधायक और आजसू के पास 2 विधायक हैं। इसके बाद भी द्रौपदी मुर्मू को 70 वोट मिले हैं। 2 विधायक निर्दलीय भी हैं। 

ताज़ा ख़बरें

कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग 

राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी संख्या में क्रॉस वोटिंग की खबर आई है और असम से लेकर मध्य प्रदेश और गुजरात तक कांग्रेस के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। यह बात कांग्रेस हाईकमान तक पहुंची है और पार्टी ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है। 

Jharkhand Congress danger of Operation Lotus - Satya Hindi

यशवंत सिन्हा को सिर्फ 9 वोट मिलने के बाद झारखंड कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि उन्हें जिस बात का डर था वही हुआ। राज्य में कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस की ओर से कम से कम 9 वोट द्रौपदी मुर्मू को मिले हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है और पार्टी इस मामले को गंभीरता से देख रही है।

जबकि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कांग्रेस की राज्य इकाई में हमेशा कुछ न कुछ असंतोष रहा है लेकिन ऐसा सभी राजनीतिक दलों में होता है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कभी भी ‘ऑपरेशन लोटस’ हो सकता है और इस क्रॉस वोटिंग का आकलन किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया हो क्योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में व्हिप का प्रावधान नहीं होता।

झारखंड में कांग्रेस के सात विधायक आदिवासी समुदाय से हैं और हो सकता है कि इन विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया हो। क्योंकि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ही आती हैं। आज़ादी के बाद आदिवासी समुदाय से आने वाली वह पहली महिला हैं जो राष्ट्रपति पद तक पहुंची हैं।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस व आरजेडी मिलकर सरकार चला रहे हैं। इनमें से कांग्रेस और आरजेडी तो विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ थे लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। इसकी एक बड़ी वजह झारखंड में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के मतदाताओं का होना भी था।
Jharkhand Congress danger of Operation Lotus - Satya Hindi

कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह क्रॉस वोटिंग को बहुत बड़ी समस्या नहीं मानते लेकिन गठबंधन सरकार को लेकर उन्होंने चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि बीजेपी राज्य की गठबंधन सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, उसने मुख्यमंत्री को खनन के मुद्दे पर उलझा दिया है और मुख्यमंत्री के सहयोगी पंकज मिश्रा को हाल ही में जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार किया है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर चुनाव आयोग मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित करता है तो देखना होगा कि आगे किस तरह के हालात बनते हैं। 

झारखंड से और खबरें

बीजेपी संग जाएंगे सोरेन?

झारखंड में इस बात की भी चर्चा है कि हेमंत सोरेन बीजेपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में उनके द्वारा द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के अलावा हाल ही में उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई थी। प्रधानमंत्री के झारखंड दौरे के दौरान भी तमाम तरह की चर्चाएं हुई थी। 

सवाल यह है कि क्या झारखंड में ‘ऑपरेशन लोटस’ चलेगा। बता दें कि कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत बीजेपी पिछले 8 सालों में उत्तराखंड से लेकर मणिपुर मध्य प्रदेश से लेकर कर्नाटक, गोवा और कई राज्यों में उसके विधायकों को तोड़कर उसकी सरकारों को गिरा चुकी है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में झारखंड में राजनीतिक हालात किस तरह बदलते हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

झारखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें