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इंडिया ब्लॉक ने झारखंड में साझा घोषणा पत्र- 'एक वोट सात गारंटी' जारी की है।

झारखंड: इंडिया ब्लॉक की ‘7 गारंटी’ से बीजेपी क्यों तिलमिलाई?

झारखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया ब्लॉक द्वारा साझा तौर पर जारी किए गए घोषणा पत्र को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ी है। दरअसल, इंडिया ब्ल़ॉक ने ‘एक वोट सात गांरटी’ के नाम से जारी इस घोषणा पत्र में कई वैसे मुद्दे और सवालों को नए सिरे से उछाल दिया है, जिसे लेकर सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा बीजेपी तथा केंद्र सरकार को लगातार निशाने पर लेती रही है। पूछा जा सकता है कि वे कौन सी गारंटी है, जिन पर झारखंड मुक्ति मोर्चा अब भी कायम है। दूसरी तरफ़ बीजेपी इंडिया ब्लॉक की इन सात गारंटी से इतनी परेशान क्यों है।

मंगलवार, पांच नवंबर को चुनाव प्रचार करने झारखंड दौरे पर आए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आरजेडी के जेपी यादव तथा सीपीआई-एमएल के शुभेंदु सेन ने संयुक्त रूप से घोषणा पत्र जारी किया है। ये दल अलग से भी अपना घोषणा पत्र जारी करेंगे।

घोषणा पत्र जारी करते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम जुमलेबाजी जुमलेबाजी नहीं करते हैं, जो कहते हैं उसे पूरे करते हैं। झारखंड में भी यही करेंगे। हम फूड सिक्योरिटी एक्ट और भूमि अधिग्रहण का कानून लाया था, वे भी पूरे किए।“

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इंडिया ब्लॉक की गारंटी (घोषणा पत्र) से दो दिन पहले तीन नवंबर को रांची में केंद्रीय गृह मंत्री ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी किया था। बीजेपी ने इसे ‘संकल्प पत्र’ नाम दिया है। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में कई बड़े एलान के साथ झारखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) जरूर लाने का एजेंडा सामने रखा है। हालांकि इससे आदिवासियों को बाहर रखा जाएगा।

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन और एनडीए के बीच बिल्कुल आमने- सामने की उभरती लड़ाई की तस्वीर के बीच प्रचार में दोनों खेमे से दिग्गज खम ठोंक रहे हैं।

सरना कोड, आरक्षण और स्थानीयता

इंडिया ब्लॉक ने आदिवासियों के लिए सरना कोड लागू कराने और अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने तथा 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू कराने की गांरटी दी है। गौरतलब है कि ये तीनों मुद्दे संवेदनशील रहने के साथ सियासत के केंद्र में रहे हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पिछले चुनावों में भी इन मुद्दे को अपने वादे में शामिल किए थे। इन मुद्दों पर कायम रहने के लिए हेमंत सोरेन ने एक बार फिर प्रतिबद्धता जताई है।

गारंटी पत्र जारी करते हुए उन्होंने कहा, 1932 खातियान आधारित स्थानीय नीति, सरना धर्म कोड और आरक्षण के प्रस्ताव पर हम दोबारा काम करेंगे। इस बाबत केंद्र सरकार को पहले भी प्रस्ताव भेजे गए थे। लेकिन वे कुंडली मार कर बैठे हैं। नई सरकार बनने के बाद फिर प्रस्ताव भेजेंगे।

जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम निर्धारित करने की यह मांग उनकी भावना और पहचान से जुड़ी है। झारखंड में इस मांग को लेकर अलग-अलग आदिवासी संगठन लगातार आंदोलन करते रहे हैं।

जनगणना में अभी तक केवल हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के पास अपनी अलग संहिता या कोड है। आदिवासी मामलों के कई जानकारों तथा संगठनों के प्रतिनिधियों का दावा है कि कोई अलग संहिता न होने के बावजूद 2011 की जनगणना में लगभग 50 लाख लोगों ने सरना को अपने धर्म के रूप में दर्ज कराया। वे चाहते हैं कि जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से कॉलम निर्धारित किए जाएं।

हेमंत सोरेन की सरकार ने झारखंड विधानसभा से नवंबर 2020 में एक विशेष सत्र में ‘सरना आदिवासी धर्म’ कोड’ का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करा कर केंद्र को भेजा है। पिछले साल इसी मामले में हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था। हेमंत सोरेन ने एक बार फिर चतुराई से बॉल बीजेपी के कोर्ट में डाल दिया है।

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लोकसभा चुनावों में भी यह मुद्दा सतह पर रहा था और विधानसभा चुनावों में भी सत्तारूढ़ दल इस मुद्दे पर बीजेपी को निशाने पर लेते रहे हैं। चार नवंबर को रांची में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि बीजेपी के घोषणा पत्र में सरना धर्म कोड शामिल नहीं है। झारखंड की सरकार ने इसे विधानसभा से पारित कराकर केंद्र को भेजा, लेकिन अब तक लंबित है।

हालाँकि तीन नवंबर को बजेपी का संकल्प पत्र जारी करने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सरना धर्म कोड से संबंधित सवाल पर कहा था, “नई सरकार इस पर चर्चा करेगी। जो उचित होगा वह करेगी।“

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सरना कोड के अलावा हेमंत सोरेन की सरकार ने पहले ही स्थानीयता से संबंधित विधेयक और एसटी, एसी, ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक भी केंद्र सरकार को भेजा है। सरकार झारखंड में ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27, एसटी का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 और एसी के लिए 12 प्रतिशत करने की पक्षधर है। इधर बीजेपी ने अपने संकल्प में पिछड़ों का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का वादा किया है। जेएमएम के प्रवक्ता डॉ. तनुज खत्री कहते हैं, “हेमंत सोरेन ने जो प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा है, उस पर इतने दिनों तक बीजेपी ने पहल क्यों नहीं की। चुनाव के वक्त बीजेपी को ओबीसी की चिंता सता रही है।“

महिलाओं को ढाई हजार रुपए महीने

इंडिया ब्लॉक ने मंईयां सम्मान की गारंटी भी दी है। सरकार पिछले तीन महीने से राज्य में 18 से 50 साल तक की लगभग 50 लाख महिलाओं को एक हजार रुपए की सहायता उनके खाते में भेज रही है। अब इंडिया ब्लॉक ने इसे हर महीने ढाई हजार रुपए करने का वादा किया है।

बीजेपी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र कुमार राय ने कहा है, “57 महीने बाद हेमंत सरकार को मंईयां सम्मान योजना की याद आई। और जब ढाई हजार देने थे ही तो तीन महीने एक हजार रुपए क्यों दिए गए। कांग्रेस और जेएमएम ने जो वादे किए हैं, इन पर जनता को भरोसा नहीं है। पहले ही जनता इनके वादों पर बहुत जली है। झारखंड की जनता को सिर्फ मोदी की गारंटी पर भरोसा है।“ 

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर झारखंड की सियासत में वैसे ही तूफान मचा है। चुनाव में यह मुद्दा सत्तारूढ़ दलों और विपक्ष (एनडीए) दोनों के लिए अहम हो गया है।

बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में वादा किया है कि सत्ता में आने पर गोगो दीदी योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 2100 रुपए दिए जाएंगे। चार नवंबर को चुनावी सभा करने झारखंड आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी की गोगो दीदी के वादे की तारीफ की थी। जबकि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना शुरू किए जाने के साथ ही इसके प्रचार प्रसार में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इस योजना को लेकर महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन पहले से आगे निकले हुए दिखते हैं।

किसान कल्याण, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा की गारंटी

इंडिया ब्लॉक की गारंटी में प्रति व्यक्ति सात किलो राशन देने और हर गरीब परिवार को साढ़े चार सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है। जबकि बीजेपी ने पहले ही अपने संकल्प पत्र में पांच सौ रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया है।

इंडिया ब्लॉक ने धान की एमएसपी को 2400 रुपए से बढ़ाकर 3200 रुपए करने का वादा किया है। इससे पहले बीजेपी ने इसे 3100 रुपए देने का वादा किया है।

इंडिया ब्लॉक ने गारंटी रोजगार के तहत झारखंड के दस लाख युवाओं को नौकरी, रोजगार देने और 15 लाख तक पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने का वादा किया है। हालांकि नौकरी और रोजगार के सवाल पर जेएमएम गठबंधन सरकार को पहले से ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में वादा किया है कि पांच साल में झारखंडी युवाओं के लए पांच लाख स्वरोजगार के अवसर तथा दो लाख 87 हजार रिक्त सरकारी पदों की भर्ती जाएगी। पहली कैबिनेट में भर्ती की प्रकिया शुरू की जाएगी। अगले एक साल में डेढ़ लाख पद भर लिए जाएंगे।

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केंद्रीय मंत्री और झारखंड में बीजेपी के सह चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह कहते हैं, “इंडिया ब्लॉक की गारंटी पर जनता को भरोसा नहीं है। बीजेपी जो कहती है, वह करती है। हम ही सारी गांरटी पूरी करेंगे। इंडी गठबंधन की गारंटी पर कोई भरोसा नहीं करेगा। पिछले चुनाव में पांच लाख नौकरी देने और बेरोजगारी भत्ता देने तथा महिलाओं को हर महीने चूल्हा खर्च के तौर पर दो हजार रुपए देने के वादे नहीं धोखे साबित हुए हैं।“

जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय कहते हैं, “बीजेपी की झुंझलाहट साफ है। महिलाओं को हमारी सरकार एक हजार रुपए दे रही है। उसे बढ़ाकर 2500 करने जा रहे हैं। गैस सिलेंडर पांच सौ नहीं साढ़े चार सौ रुपए में देंगे। हम सरना कोड, ओबीसी आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र की सरकार इन प्रस्तावों पर कुंडली मारे बैठी है। सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी और 200 यूनिट बिजली मुफ्त करने से बीजेपी की मुश्किलें वैसे ही बढ़ी हैं।”

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नीरज सिन्हा
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