उमर ने कहा- “अगर हम सम्मान के साथ नहीं रह सकते हैं, और हमारी पहचान में मूल्य और सम्मान की कमी है, तो इन सभी मुद्दों का कोई वास्तविक अर्थ नहीं है। मैं आपको भरोसा देना चाहता हूं कि हम उन सभी मामलों के लिए लड़ेंगे, लेकिन मेरी पहली प्राथमिकता जम्मू कश्मीर के लोगों के आत्मसम्मान को बहाल करना है। हमारी ज़मीन, हमारे रोज़गार और हमारे संसाधनों पर पहला हक़ हमारा होना चाहिए। तभी हम वास्तव में कह सकते हैं कि यह देश हमारे सम्मान और प्रतिष्ठा का सम्मान करता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बिजली, सड़क, पानी, रोजगार या अन्य मुद्दों पर लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करेगी, लेकिन अगर हम सम्मान के साथ नहीं रह सकते, अगर हमारी पहचान का सम्मान नहीं है, तो ये सभी चीजें बेकार हैं।" उन्होंने कहा कि वह लोगों को यकीन दिलाना चाहते हैं कि "हम इन सभी चीजों के लिए लड़ेंगे, लेकिन मैं जो सबसे ज्यादा चाहता हूं वह हमारे आत्मसम्मान को बहाल करना है।" उनके इस बयान पर वहां बैठे दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं।
उन्होंने कहा कि वह सिविल सोसाइटी के साथ लगातार संपर्क और संवाद स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय के बाद अब लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा- "यह आपकी सरकार है। मैं कहता रहा हूं कि यह हमारी नहीं, जनता की सरकार है। हम आपके नौकर हैं। हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं न कि ऐश-ओ-आराम करने आए हैं।''
बैठक में उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी, मंत्री सकीना इटू, जावीद अहमद डार, जावेद राणा, श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्ला मेहदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी मौजूद थे।
उमर ने कहा, “हालांकि, 10वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के मामले में, हम इस साल शैक्षणिक सत्र बहाल नहीं कर सकते हैं, लेकिन 2025 में, हम पुरानी योजना के अनुसार कार्यक्रम को वापस कर देंगे और उनकी परीक्षाएं भी सर्दियों की छुट्टियों से पहले होंगी।” पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने नवंबर में कक्षा 9 तक के छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र को वर्ष के अंत की परीक्षाओं में बदलने के निर्णय का स्वागत किया, इसे पिछले गलत निर्णय का सुधार बताया।
2022 में उपराज्यपाल के नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने उच्च शिक्षा विभाग और देश के बाकी हिस्सों के साथ तालमेल करते हुए जम्मू और कश्मीर दोनों डिवीजनों के लिए एक "समान शैक्षणिक कैलेंडर" के कार्यान्वयन के आदेश जारी किए थे। लेकिन इस फैसले को जम्मू कश्मीर की जनता ने पसंद नहीं किया। इसलिए सरकार बनते ही सबसे पहले उमर सरकार ने इसी फैसले को पलट दिया।
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