जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा शोर है कि वहां मतदान प्रतिशत बहुत बढ़ गया लेकिन उसकी गहराई में झांकने की कोशिश किसी ने नहीं की। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला बड़ा चुनाव था। 35 वर्षों के अंतराल के बाद चुनाव हो रहा था। ऐसे में कश्मीर घाटी के लोगों ने लोकसभा चुनाव के लिए 'भाजपा की प्रॉक्सी' पार्टियों के खिलाफ और 'परिवारवादियों' (उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती) को सबक सिखाने के लिए उन्होंने वोट का रास्ता चुना। लेकिन ज्यादातर मतदाता भाजपा समर्थित दलों के उम्मीदवारों को सबक सिखाने का फैसला कर चुके थे, उन्होंने ऐसा किया भी। प्रॉक्सी दलों के सारे प्रत्याशी जमानत गवां बैठे। गुलाम नबी आजाद जो मुख्यधारा की पार्टी से क्षेत्रीय दल बनाकर चुनाव लड़ने गए थे, उन पर भी भाजपा की प्रॉक्सी पार्टी का लेबल है।
जम्मू कश्मीरः ज़मानत जब्त होने के बाद क्या भविष्य है भाजपा के प्रॉक्सी दलों का
- जम्मू-कश्मीर
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- 29 Mar, 2025
कश्मीर घाटी में 'प्रॉक्सी' दलों की आड़ में लोकसभा चुनाव लड़ने का भाजपा का प्रयोग बुरी तरह नाकाम रहा है क्योंकि उन सभी दलों के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। राज्य में विधानसभा चुनाव कभी भी हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न पर सुझाव मांगे हैं। ऐसे में भाजपा क्या कश्मीर घाटी में चुनाव लड़ पाएगी या फिर इन्हीं प्रॉक्सी दलों को उतारेगी।
