जम्मू कश्मीर में लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा शोर है कि वहां मतदान प्रतिशत बहुत बढ़ गया लेकिन उसकी गहराई में झांकने की कोशिश किसी ने नहीं की। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला बड़ा चुनाव था। 35 वर्षों के अंतराल के बाद चुनाव हो रहा था। ऐसे में कश्मीर घाटी के लोगों ने लोकसभा चुनाव के लिए 'भाजपा की प्रॉक्सी' पार्टियों के खिलाफ और 'परिवारवादियों' (उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती) को सबक सिखाने के लिए उन्होंने वोट का रास्ता चुना। लेकिन ज्यादातर मतदाता भाजपा समर्थित दलों के उम्मीदवारों को सबक सिखाने का फैसला कर चुके थे, उन्होंने ऐसा किया भी। प्रॉक्सी दलों के सारे प्रत्याशी जमानत गवां बैठे। गुलाम नबी आजाद जो मुख्यधारा की पार्टी से क्षेत्रीय दल बनाकर चुनाव लड़ने गए थे, उन पर भी भाजपा की प्रॉक्सी पार्टी का लेबल है।