जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैबा (एलईटी) ने अपनी जिहादी पहचान को छिपाने के लिए नई रणनीति अपनाई है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इन संगठनों ने क्रमशः द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) और पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के रूप में खुद को रीब्रांड किया है, ताकि अपने आतंकी एजेंडे को "स्वतंत्रता संग्राम" और "प्रतिरोध" के रूप में पेश किया जा सके। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, लश्कर को 22 अप्रैल के हमले के लिए मुख्य संदिग्ध माना जा रहा है। हालांकि, द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) नामक एक प्रॉक्सी समूह ने शुरू में हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि टीआरएफ केवल लश्कर की गतिविधियों को छिपाने के लिए एक कवर है।