रुपये में पहली बार सबसे बड़ी गिरावट आई है और वह मंगलवार को 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया। अब डर इस बात का है कि इस रिकॉर्ड स्तर तक गिरने के बाद इसमें यह गिरावट और तेज हो सकती है। बीते कई दिनों से रुपये के गिरने को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी नेता मोदी सरकार पर हमलावर हैं।
रॉयटर्स ने कहा है कि घरेलू शेयरों में कमजोरी के कारण भारतीय रुपया मंगलवार को रिकॉर्ड निचले स्तर तक पहुंच गया, लेकिन केंद्रीय बैंक के दखल के बाद यह नुकसान और आगे नहीं बढ़ा। इस साल भारतीय मुद्रा 7 प्रतिशत से अधिक नीचे गिर गई है।
Rupee falls 7 paise to all-time low of 80.05 against US dollar in early trade
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2022
25.39 फीसद की गिरावट
केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में स्वीकार किया था कि पिछले आठ सालों में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में 16.08 रुपये (25.39 फीसद) की गिरावट आई है। वित्त मंत्रालय की ओर से संसद को बताया गया था कि 2014 में, भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, विनिमय दर 63.33 रुपये प्रति डॉलर थी जबकि 11 जुलाई, 2022 को यह गिरकर 79.41 रुपये प्रति डॉलर पर आ गयी थी।प्रसिद्ध वित्तीय संस्था बर्कले की रिपोर्ट है कि पिछले पांच महीने में रिजर्व बैंक ने डॉलर को थामने के लिए अपने पास से 41 अरब डॉलर बाजार में उतारे हैं। बर्कले का अनुमान है कि रिजर्व बैंक ने वायदा और हाजिर, दोनों बाजारों में रेट रोकने में यह पैसा लगाया है। पर रिजर्व बैंक की भी अपनी सीमा है और जोर जबरदस्ती से लंबे वक्त तक रेट नहीं थामे जा सकते।
बढ़ रहा विदेश व्यापार का घाटा
उधर, जून में समाप्त तिमाही में हमारा विदेश व्यापार का घाटा रिकॉर्ड बना चुका है। सिर्फ पहली तिमाही का विदेश व्यापार का घाटा 70.25 अरब डॉलर का हो गया है। अमेरिका समेत सारे यूरोप में भी संकट बढ़ रहा है।
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