जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। अदालत से याचिकाओं पर जल्द से जल्द इस मामले में सुनवाई करने की मांग की गई थी।
बता दें कि अग्निपथ योजना के विरोध में बीते दिनों बिहार, उत्तर प्रदेश से लेकर तेलंगाना तक हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान रेलवे की संपत्ति को भी अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा था। उत्तर प्रदेश और बिहार में पुलिस ने बड़े पैमाने पर एफआईआर दर्ज की थी और सैकड़ों लोगों की गिरफ्तारियां भी की थी।
दूसरी ओर सरकार इस योजना को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। एयरफोर्स और आर्मी में भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सेना में रहे कई पूर्व अफसरों ने अग्निपथ योजना का विरोध किया है तो सेना में रहे कई पूर्व अफसर इस योजना के समर्थन में आगे आए हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि यह योजना युवाओं के लिए फायदेमंद है और उन्हें विपक्षी दलों के द्वारा गुमराह किया जा रहा है।
बीते दिनों में केंद्र सरकार और निजी कंपनियों की ओर से अग्निवीरों के लिए तमाम बड़े एलान भी किए गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि अग्निवीरों को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स यानी सीएपीएफ और असम राइफल्स में 10 फीसद आरक्षण मिलेगा।
इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने अग्निवीरों को सीएपीएफ और असम राइफल्स में भर्ती के लिए तय आयु सीमा में 3 साल की छूट देने का भी फैसला किया है और अग्निपथ योजना के पहले बैच के लिए यह छूट 5 वर्ष होगी।
क्या है योजना में खास?
अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के बाद युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर उन्हें 3.5 साल के लिए अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इस दौरान उनकी तनख्वाह 30000 से शुरू होगी और यह 40000 रुपए तक जाएगी। इस दौरान उनकी तनख्वाह का 30 फीसद पैसा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत रखा जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान हर महीने करेगी। इसके अलावा उन्हें भत्ते भी दिए जाएंगे। उन्हें मेडिकल और इंश्योरेंस सेवाओं का भी फायदा मिलेगा।
4 साल की नौकरी पूरी होने के बाद हर जवान के पास ब्याज मिलाकर एक 11.71 लाख रुपए की धनराशि होगी और यह पूरी तरह कर मुक्त होगी। इसके अलावा 48 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी अग्निपथ योजना के तहत शामिल होने वाले जवानों को 4 साल तक की अवधि के दौरान मिलेगा।
4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे और वे 15 साल तक सेना में फिर से सेवा करेंगे। जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा।
अग्निवीरों की शैक्षणिक योग्यता के लिए वही क्राइटेरिया होगा जो सेना में भर्ती होने के लिए होता है। यानी उन्हें 10 वीं पास होना जरूरी होगा।
इस योजना के आलोचकों का कहना है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जब युवक और युवतियां आर्म्ड फोर्सेस से बाहर निकलेंगे तो वह क्या करेंगे। आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना को लागू करना चाहिए था और अगर योजना सफल होती तब इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए था।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की एक बड़ी सीमा चीन और पाकिस्तान से लगती है और भारत की इस बड़ी सीमा को 4 साल की अग्निपथ योजना के तहत ट्रेनिंग पाने वाले युवाओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। उसके लिए लंबी ट्रेनिंग कर चुके और सेना में स्थायी नौकरी वाले युवा ही चाहिए।
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