भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन का मानना है कि देश आर्थिक महाविनाश की कगार पर खड़ा है और अर्थव्यवस्था को सुधारना अकेले प्रधानमंत्री कार्यालय के बूते की बात नहीं है। इसलिए पूर्व वित्त मंत्रियों समेत कई दूसरे लोगों की मदद लेनी चाहिए और इसमें यह नहीं देखना चाहिए कि वह आदमी किस राजनीतिक दल का है। उन्होंने इस पर चिंता जताई कि स्थिति बदतर हो सकती है।
‘द वायर’ के साथ एक लंबी बातचीत में रघुराज राजन ने यह भी कहा कि सिर्फ कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हुई आर्थिक तबाही ही नहीं, बल्कि इसके पहले के 3-4 साल में हुई आर्थिक बदहाली को भी दुरुस्त करना होगा।
अर्थतंत्र से और खबरें
'अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना होगा'
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने ज़ोर देकर कहा कि कोरोना वायरस से लड़ना जितना ज़रूरी है, अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना भी उतना ही आवश्यक है।उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए निर्माण कार्य और ढाँचागत सुविधाओं के विकास, दोनों पर अधिक ध्यान देना होगा।
आर्थिक पैकेज
आर्थिक पैकेज की चर्चा करते हुए रघुराम राजन ने ‘द वायर’ से कहा कि प्रवासी मज़दूरों को खाद्यान्न देना पर्याप्त नहीं है। उन्हें इसके साथ ही सब्जी और तेल की ज़रूरत भी पड़ेगी, लिहाज़ा, उन्हें पैसे मिलने चाहिए। राजन ने कहा कि क़र्ज़ और क़र्ज़ की गारंटी का असर बहुत बाद में साफ़ होगा, पर फ़िलहाल तो नकद चाहिए क्योंकि लोग तो अभी भूखे हैं।राजन ने आर्थिक पैकेज की ख़ामियों को उजागर करते हुए कहा कि सूक्ष्म,लघु-मझोले उद्यम (एमएसएमई) का सेक्टर पहले से ही क़र्ज़ के बोझ तले दबा हुआ है, उसे और क़र्ज़ नहीं चाहिए और इस नए क़र्ज़ से उसकी स्थिति बदतर ही होगी।
एमएसएमई
उन्होंने कहा कि यह भी हो सकता है कि ये बैंक सरकार की क्रेडिट गांरटी का इस्तेमाल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कर लें। राजन ने कहा कि इससे अच्छा होगा कि एमएसएमई सेक्टर का जितना पैसा बाज़ार के पास बकाया पड़ा हुआ है, उसी का भुगतान तुरन्त हो जाए। उन्होंने इस विभाग के मंत्री नितिन गडकरी को उद्धृत करते हुए कहा कि इस सेक्टर का 5 लाख करोड़ रुपए बकाया पड़ा है।रघुराम राजन ने कहा कि एअरलाइन्स, पर्यटन, निर्माण और ऑटोमोटिव जैसे सेक्टर वाकई संकट में हैं। सरकार अमेरिका की तरह बड़े राहत पैकेज का एलान नहीं कर सकती, पर इन लोगों के लिए वह क़र्ज़ का इंतजाम कर सकती है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एलान किया। उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने काफी विस्तार से 5 चरणों में उस पैकेज के बारे में बताया। लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस पैकेज का बड़ा हिस्सा पहले की रियायतों का है, जिसे इसमें जोड़ दिया गया।
पैकेज का जो बचा हिस्सा है, वह बड़े पैमाने पर क़र्ज़ की गारंटी है। इसके अलावा कई बड़े और दूरगामी आर्थिक सुधारों को भी पैकेज में डाल दिया गया है। ये वैसे सुधार हैं, जिनका असर कई साल बाद दिखेगा। पर ज़रूरत तो आज लोगों की स्थिति सुधारने की है।
अपनी राय बतायें