प्याज की बढ़ी हुई कीमतें राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही हैं, सोशल मीडिया पर वित्त मंत्री जिस तरह ट्रोल हुईं और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संसद में जिस तरह सरकार पर हमला किया, उससे यह साफ़ है। सरकार का दावा है कि वह प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। पर पर्यवेक्षकों का कहना है कि अभी इन कीमतों में बहुत ज़्यादा गिरावट नहीं आएगी। अनुमान है कि जनवरी के बाद ही प्याज की कीमतें गिरेंगी।
प्याज की कीमत 100 रुपए प्रति किलोग्राम के ऊपर है, कुछ बाज़ारों में तो यह 130 रुपए तक पहुँच गई है।
आयात होगा
असम सरकार के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री फणि भूषण चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार इसी महीने मिस्र से 1160 मीट्रिक टन और तुर्की से 1100 मीट्रिक टन प्याज आयात करेगी। इन दोनों देशों से प्याज आयात करने की बात केंद्र सरकार पहले भी कह चुकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार प्याज की कीमतें कम करने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इसके तहत प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी गई, प्याज आयात किया जा रहा है, प्याज के स्टॉक रखने की सीमा कर दी गई है।
इसके अलावा जिन इलाक़ों में प्याज की अधिकता है, वहाँ से प्याज उन इलाक़ों में भेजा जा रहा है, जहाँ इसकी किल्लत है। केंद्र सरकार ने इसके एक दिन पहले ही प्याज स्टॉक रखने की सीमा 25 टन से घटा कर 5 टन कर दिया था।
जनवरी से पहले कीमतें नहीं गिरेंगी
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इन तमाम कथित कोशिशों के बावजूद प्याज की कीमतें फ़िलहाल नियंत्रण में नहीं आएंगी। इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के महानिदेशक सुनील पवार ने कहा कि प्याज की आवक पिछले साल की तुलना में आधी हुई है। उन्होंने कहा :
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हालाँकि खरीफ के लाल प्याज की आवक शुरू हो गई है, पर यह पिछले साल की तुलना में कम है क्योंकि इसकी बुआई देर से शुरू हुई थी और कम ज़मीन पर इसकी खेती इस बार हुई है।
सुनील पवार, महानिदेशक, महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड
उम्मीदें टिकी हैं नए प्याज पर
समझा जाता है कि जनवरी में नया प्याज खेतों से निकलेगा और उनके बाज़ार पहुँचने पर ही स्थिति सामान्य हो सकेगी। लगभग उसी समय सरकार प्याज का आयात भी कर लेगी। इन दो वजहों से जनवरी में प्याज की कीमत कम होने के आसार हैं।
नवंबर में 24.50 लाख टन प्याज की आवक हुई, जबकि बीते साल 41.30 लाख टन प्याज की आवक हुई थी। इसी तरह अक्टूबर में प्याज की आवक 25 लाख टन थी, जबकि बीते साल अक्टूबर में 51 लाख टन प्याज बाज़ारों तक पहुँचा था।
सरकार का कहना है कि मेटल एंड मिनरल ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एमएमटीसी) ने तुर्की से 4,000 मीट्रिक टन प्याज खरीदने का क़रार कर लिया है। यह प्याज जनवरी तक आ जाएगा। इसके अलावा तुर्की और यूरोपीय संघ से 5,000 टन प्याज आयात के क़रार पर दस्तख़त किया गया है। कुल मिला कर सरकार 17,090 मीट्रिक टन प्याज का आयात करेगी। इसका बड़ा हिस्सा जनवरी तक भारत पहुँच जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि प्याज की बेतहाशा बढ़ी कीमतें अभी भी बड़ा मुद्दा नहीं बन सकी हैं। विपक्ष इस पर अब तक मोटे तौर पर चुप है। हालाँकि कांग्रेस पार्टी के कुछ सांसदों ने प्याज की माला पहन कर संसद में विरोध प्रदर्शन किया, पर यह विरोध सांकेतिक ही था। पार्टी ने जनता के बीच जाकर कुछ ख़ास नहीं किया। दूसरे दलों ने तो यह भी नहीं किया। ऐसे लुंजपुंज विपक्ष की वजह से यह कोई मुद्दा नहीं बन सका और सरकार भी लगभग निश्चिंत ही रही। संसद में विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार हरकत में आई और गुरुवार को प्याज की कीमतों पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलाई।
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