पिछले कुछ साल से दुनिया भर से आ रही ख़राब आर्थिक ख़बरों के बावजूद देश के अर्थशास्त्री इस बात पर संतोष जता रहे थे कि भारत की अर्थव्यवस्था में भले ही गिरावट दिख रही हो, फिर भी यह दुनिया की सबसे तेज़ी से तरक्की करती अर्थव्यवस्थाओं में है। इस साल मार्च महीने के बाद से यह साफ हो गया था कि कोरोना वायरस अब सारे समीकरणों को बदल देगा। लेकिन यह समीकरण अचानक ही सिर के बल खड़े दिखाई देंगे, ऐसा किसी ने नहीं सोचा था।
सबसे तेज़ी से बढ रही अर्थव्यवस्थाओं में एक भारत कैसे सबसे तेज़ी से नीचे गिरा?
- अर्थतंत्र
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- 1 Sep, 2020

एक सोच यह भी है कि देश में वास्तविक ज़मीनी हालात उससे कहीं ज्यादा बुरे हैं जितने कि इन आँकड़ों में बताए गए हैं। दरअसल, लॉकडाउन का सबसे ज़्यादा बुरा असर जिस वर्ग पर पड़ा है, वह है अर्थव्यवस्था का अनौपचारिक क्षेत्र। इस क्षेत्र में फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले, रिक्शे, ठेले और खोमचे वालों के अलावा निजी काम करने वाले कारीगर जैसे मोची व घरेलू नौकर वगैरह आते हैं। यह वह वर्ग है, जिसके सही आँकड़े कभी हम तक नहीं पहुँच पाते हैं।