मशहूर ब्रिटिश पत्रिका ‘द इकाॅनमिस्ट’ में पिछले हफ़्ते आवरण कथा थी- ‘विल इन्फ्लेशन रिटर्न?’, यानी क्या मुद्रास्फीति लौटेगी? कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के बाद से दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों की यह सबसे बड़ी चिंता है कि मुद्रास्फीति यानी महंगाई का असर वहाँ के बाजारों से ग़ायब हो चुका है। यह माना जाता है कि एक हद से ज्यादा महंगाई गड़बड़ होती है, लेकिन उसके बाज़ार से बिलकुल ही नदारद हो जाने से ख़तरनाक कुछ नहीं होता।

हमारे यहाँ भले ही हर दूसरे दिन अर्थव्यवस्था में ‘ग्रीन शूट्स’ यानी खुशहाली की हरी पत्तियाँ किसी न किसी को दिखाई देती रहती हैं, लेकिन पश्चिमी देशों में माना जा रहा है कि जब मुद्रास्फीति बढ़नी शुरू होगी तभी यह माना जाएगा कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है।