अब आप भविष्य निधि यानी पीएफ़ में सालाना पाँच लाख रुपए तक जमा करा सकते हैं और उस रकम पर आयकर यानी इनकम टैक्स नहीं लगेगा। सरकार ने वित्त अधिनियम 2021 में संशोधन कर कर-मुक्त पीएफ कंट्रीब्यूशन की सीमा 2.50 लाख से बढ़ा कर पाँच लाख रुपए कर दी है। यह 1 अप्रैल 2021 से लागू होगा।
बजट 2021 में कहा गया था कि पीएफ़ में पैसे जमा करने पर आयकर नहीं लगेगा, वह रकम 2.50 लाख रुपए पर ही सीमित रखी जाएगी। लेकिन बाद में सरकार ने उसमें संशोधन कर उसे दूना कर दिया है। यानी अब पीएफ़ में सालाना पाँच लाख रुपए तक जमा कराने पर उस रकम को आय में नहीं जोड़ा जाएगा और इस तरह उस पर आयकर भी नहीं लगेगा।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मासिक 41,666 रुपए तक की रकम पीएफ में जमा कराई जा सकती है, जिस पर आयकर नहीं लगेगा।
लेकिन इससे उन लोगों को फ़ायदा होगा जिनकी सालाना बेसिक सैलरी 46.11 लाख रुपए यानी कुल वेतन 83 लाख रुपए तक है।
क्या कहा था निर्मला सीतारमण ने?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 के भाषण में कहा था कि कुछ लोग बड़ी रकम पीएफ़ में जमा कराते हैं और उस पर उन्हें ब्याज मिलता है। उन्होंने कहा था कि पीएफ़ दरअसल मज़दूरों के लिए है, लेकिन इसका फ़ायदा दूसरे लोग उठाते हैं, मजदूरों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे बड़ी रकम इसमें जमा करा सकें। लिहाज़ा, इस पर रोक लगाने के लिए यह तय किया गया था कि अब 2.50 लाख रुपए तक ही जमा कराया जा सकेगा जिस पर आयकर नहीं लगेगा। सरकार ने इस रकम को बढ़ा कर पाँच लाख कर दिया है।बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते दिनों पीएफ़ में जमा पैसे पर 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देने का एलान किया था। यह देश में किसी भी इंस्ट्रूमेंट पर मिलने वाला सर्वाधिक ब्याज दर है।
ईपीएफओ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड ने जम्मू में हुई बैठक में यह निर्णय लिया कि पिछले साल की ब्याज दर ही बरक़रार रखी जाए। बोर्ड ने 8.5 प्रतिश ब्याज दर की सिफारिश कर दी।
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लॉकडाउन और उसके बाद
सरकार ने पीएफ़ में पैसे जमा कराने की सीमा ऐसे समय बढाई है जब कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों ने पीएफ से पैसे निकाल लिए। सरकार का कहना है कि 31 दिसंबर 56.79 लाख लोगों ने पीएफ़ से पैसे निकाल लिए। सरकार ने 14,310.21 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
पिछले साल सरकार ने पीएफ़ की ब्याज दर घटा दी थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफ़ओ ने 2019-20 के लिए पीएफ़ पर ब्याज दर 8.50 फ़ीसदी कर दी थी। यह 2018-19 के लिए 8.65 फ़ीसदी थी।
ईपीएफ़ओ का यह फ़ैसला अहम इसलिए माना जा रहा है कि इसके अपने निवेश पर पिछले साल कम रिटर्न मिला था।
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