अडानी समूह के ख़िलाफ़ ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट उस पर समूह की प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया पर जवाब- सब देखने के बाद लग रहा है कि महा शक्तिशाली भारत सरकार अपने सबसे करीबी (दानादाता, प्रचारक, उद्धारक और खरीदार) को नुक़सान से बचा नहीं पाई है। कुल मिलाकर, आरोप जितने अडानी पर हैं उतने ही सरकार पर और अडानी से जिन सवालों के जवाब मांगे गए हैं, उनकी चर्चा करने की बजाय वे इधर-उधर की बातें कर रहे हैं और सरकार ने हमेशा की तरह चुप्पी साध रखी है।
क्या अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच मोदी सरकार करेगी?
- अर्थतंत्र
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- 27 Jan, 2023

अमेरिकी फ़र्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने आख़िर किन आधारों पर अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेराफेरी करने के आरोप लगाए हैें? हिंडनबर्ग की रिसर्च के बाद आख़िर अडानी ग्रुप बैकफुट पर क्यों है?
रिपोर्ट की ख़ास बातों में कहा गया है, ‘हमारा मानना है कि अडानी समूह बड़े पैमाने पर, दिन के उजाले में, धोखाधड़ी करने में सक्षम रहा है क्योंकि निवेशक, पत्रकार, नागरिक और यहाँ तक कि राजनेता प्रतिशोध के डर से बोलने से बचते हैं। हमने अपनी रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया है। यदि गौतम अडानी वास्तव में पारदर्शिता को अपनाते हैं, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो उत्तर देने के लिए ये प्रश्न आसान होने चाहिए। हम अडानी की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। अडानी की सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक में हेरा-फेरी के सबूत आश्चर्यजनक नहीं लगने चाहिए। वैसे भी, सेबी ने अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक को पंप करने (कृत्रिम रूप से बढ़ाने/फैलाने) के लिए अडानी के प्रवर्तकों सहित 70 से अधिक संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ वर्षों जांच और मुकदमा चलाया है।’