देश की बीजेपी सरकार लोकतंत्र समर्थक या संरक्षक नहीं है, यह तो 2016 के दादरी कांड से ही स्पष्ट हो गया था। जब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने का यह असर हुआ कि दिल्ली के पास दादरी में अखलाक के घर में घुसकर फ्रिज में रखा गया मांस देखा गया। घर में घुसकर मांस देखने और घर के मुखिया की हत्या से सामाजिक स्थिति और उस पर सरकार के रुख से आगे का सरकारी रवैया साफ़ हो चुका था। यह अलग बात है कि जो लोग तब नहीं समझे थे वो अब भी नहीं समझे हैं।
ज़रूरी नहीं कि सरकार लोकप्रिय है तो लोकतांत्रिक भी हो!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

लोकतांत्रिक मूल्यों वाली सरकारों की क्या पहचान होती है? क्या वोट मिलते रहना और चुनाव जीतते रहना ही काफ़ी है? क्या लोकप्रियता ही पैमाना हो सकता है?
कहने की ज़रूरत नहीं है कि यह सरकार देश को आरटीआई क़ानून देने वाली पार्टी से बेहतर होने का दावा करके सत्ता में आई थी और आरटीआई से सबसे ज़्यादा तकलीफ़ उसे ही है और उसका हाल यह है कि प्रधानमंत्री की डिग्री तक सार्वजनिक नहीं है। मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री अशिक्षित या निरक्षर भी हो सकते हैं और यह उनका निजी मामला है। लेकिन वो अगर डिग्रीधारी होने का दावा करें तो डिग्री सार्वजनिक क्यों नहीं हो सकती?