किसी समय भारत के आँकड़ों पर पूरी दुनिया में भरोसा किया जाता था और आँकड़े इकट्ठा करने वाले संस्थानों को बहुत सम्मान से देखा जाता था। पिछले चार-पाँच साल में इस मामले में भारत की इज्जत पर बट्टा लगा क्योंकि कई बार आँकड़े ग़लत पाए गए और यह भी कहा गया कि इन आँकड़ों से छेड़छाड़ जानबूझ कर और राजनीतिक कारणों से की गई ताकि सरकार और सत्तारूढ़ दल को दिक्क़त न हो। इस मामले में भारत की प्रतिष्ठा एक बार फिर गिरी जब यह पाया गया कि सकल घरेलू अनुपात के आकलन के लिए दिए गए आँकड़े ग़लत थे।
39 प्रतिशत फ़र्ज़ी कंपनियों के आधार पर तय हुआ जीडीपी
- अर्थतंत्र
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- 9 May, 2019
सकल घरेलू उत्पाद के आकल के लिए जिन आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया, वे ग़लत निकली। उनमें शामिल 39 प्रतिशत कंपनियां बेनामी थीं।
