सितंबर 2020 में बने तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन ने एक बार फिर से किसानों की खुदकुशी के मुद्दे को बीच बहस में ला दिया है।
20 साल में तीन लाख किसानों ने की आत्महत्या!
- अर्थतंत्र
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- 16 Feb, 2021

यह साफ़ है कि ज़्यादातर किसानों ने क़र्ज़ के जाल में फँस कर ही आत्महत्या की है। उनकी फसल खराब हो गई, उन्हें फसल की उचित कीमत नहीं मिली, आय का दूसरा कोई साधन नहीं था, वे तनावग्रस्त हो गए और घातक कदम उठा लिया।
देश की 70 प्रतिशत आबादी के खेती-किसानी पर निर्भर रहने के बावजूद क्यों कोई सरकार उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान खोजने में गहरी दिलचस्पी नहीं लेती है या अब तक समाधान ढूंढ नहीं पायी है।
60 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ से क्या हुआ?
मनमोहन सिंह सरकार ने पूरे देश के किसानों के लिए कृषि ऋण माफ़ी चलाई थी और उस पर लगभग 60 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए थे। उसके बावजूद कृषि-ऋण की समस्या का समाधान क्यों नहीं हुआ और उसके बाद भी किसानों की आत्महत्या का सिलसिला क्यों नहीं रुका, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।