भारत के संवैधानिक, क़ानूनी और सरकारी ढाँचे को जानने-समझने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं कि सीबीआई, सीवीसी और सीएजी जैसी शीर्ष संस्थाएँ केन्द्र सरकार के इशारे पर ही काम करती हैं। इनकी निष्पक्षता और स्वायत्तता ‘हाथी के दिखाने वाले दाँत’ की तरह ही रही हैं। इसलिए भी इन्हें केन्द्र सरकार के ‘दबंग सरकारी लठैतों’ की तरह देखा जाता रहा है। सरकारी दबंगों की इस बिरादरी में ही पुलिस के अलावा आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय का नाम भी शुमार रहा है।
निर्मला जी, मंदी के इस दौर में कौन लेता है क़र्ज़?
- अर्थतंत्र
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- 27 May, 2020

प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने उत्साह से ‘आओ क़र्ज़ा लो’ की ‘थीम’ पर आधारित कोरोना पैकेज़ का ऐलान किया था, पर ग्राहकों में उत्साह नहीं उमड़ रहा है।
मुकेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक हैं। 28 साल लम्बे करियर में इन्होंने कई न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में काम किया। पत्रकारिता की शुरुआत 1990 में टाइम्स समूह के प्रशिक्षण संस्थान से हुई। पत्रकारिता के दौरान इनका दिल्ली