भारत में रोजगार बढ़ने के सरकारी आँकड़ों पर निजी क्षेत्र के अर्थशास्त्रियों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में रोज़गार के बढ़ते अवसर मुख्य रूप से स्व-रोजगार लोगों, अवैतनिक श्रमिकों और अस्थायी कृषि श्रमिकों की वजह से है। यानी ये वो नौकरियाँ हैं जिनको नियमित वेतन नहीं मिलता है और काम भी नियमित रूप से नहीं मिल पाता है।
भारत में रोजगार की समस्या को छुपा रहे हैं सरकारी आँकड़े: अर्थशास्त्री
- अर्थतंत्र
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- 11 Jul, 2024
क्या भारत में रोजगार के आँकड़े बढ़े हैं और यदि हाँ तो ये किस प्रकार के रोजगार हैं? जानिए, सरकारी आँकड़ों पर अर्थशास्त्रियों ने क्या सवाल उठाए हैं।

अर्थशास्त्रियों की यह टिप्पणी इस सप्ताह श्रम विभाग द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के बाद आई है, जिसमें दिखाया गया है कि 2017-18 से हर साल 2 करोड़ नए रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं। जबकि सिटीबैंक की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2012 से हर साल केवल 88 लाख नौकरियाँ ही बढ़ीं।