क्या इस ख़तरे का अंदाज़ा लगाया जा सकता है जिसमें कामकाजी आधी से ज़्यादा आबादी नौकरी ढूंढना ही छोड़ दे? अपने लिए उचित नौकरी नहीं मिलने की वजह से निराश होकर ऐसे लोगों ने काम की तलाश ही छोड़ दी है। ऐसे लोगों की संख्या लगातार देश में बढ़ती जा रही है। यानी ये लोग श्रम बल से पूरी तरह बाहर हो गए हैं। इसमें ख़ासकर महिलाओं की संख्या ज़्यादा है। मुंबई में एक निजी शोध फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई ने यह रिपोर्ट जारी की है। ब्लूमबर्ग ने यह रिपोर्ट दी है।
कामकाजी आधी से ज़्यादा आबादी ने नौकरी ढ़ूंढनी भी छोड़ दी: रिपोर्ट
- अर्थतंत्र
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- 25 Apr, 2022
देश में बेरोजगारी की हालत कैसी है? यदि आप सिर्फ़ बेरोज़गारी दर के आधार पर आकलन कर रहे हैं तो आपको अपनी राय बदलनी पड़ सकती है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि निराश होकर अधिकतर लोगों ने नौकरी ढूंढनी ही छोड़ दी?

सीएमआईई के अनुसार, कामकाजी उम्र के 90 करोड़ भारतीयों में से आधे से अधिक लोगों ने काम ढूंढना ही छोड़ दिया है। यानी ये लोग कहीं नौकरी के लिए आवेदन करने नहीं जाते हैं। तो सवाल है कि रोजगार देने के राजनेताओं के दावे और हजारों-लाखों करोड़ की विकास परियोजनाओं व उसमें नौकरी पैदा करने की घोषणाओं का क्या कुछ असर नहीं होता है?