कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन सख़्ती से लागू नहीं किए जाने के बावजूद आर्थिक स्थिति में कोई ख़ास सुधार नहीं हुआ और न ही रोज़गार की हालत में। लोगों का रोज़गार छिनना जारी रहा।