दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के बेताज बादशाह रह चुके अमेरिका की हालत डँवाडोल है। अब तक अपने हिसाब से विश्व अर्थव्यवस्था चलाने और शीर्ष पर रहने वाले अमेरिका को एशिया से चुनौती मिली है। सवाल यह उठने लगा है कि क्या चीन उसे पछाड़ कर, उसे पीछे धकेल कर दुनिया की पहले नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आँकड़ों के अध्ययन करने से यह तसवीर उभर कर सामने आती है।
यूरेशियन टाइम्स पर भरोसा करें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आँकड़ों से पता चलता है कि चीनी अर्थव्यवस्था अमेरिका से आगे निकल चुकी है। इसके मुताबिक़़, परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के हिसाब से चीनी अर्थव्यवस्था 24.20 ट्रिलियन डॉलर की हो चुकी है, जबकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था 20.8 ट्रिलियन डॉलर की है।
मामला क्या है?
पारंपरिक रूप से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का हिसाब मार्केट एक्सचेंज रेट के आधार पर किया जाता है। पर कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था की सही तसवीर नहीं बनती है।इस ख़बर के अनुसार, आईएमएफ़ ने कहा है कि पीपीपी अलग-अलग अर्थव्यवस्थाओं में खरीद के स्तर का अनुमान लगाता है और इससे यह पता चलता है कि कोई अर्थव्यवस्था अपनी मुद्रा से कितना खरीद सकती है।
यूरेशियन टाइम्स ने मशहूर पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' का भी हवाला दिया है। इस पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में कहा है,
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'चीन के कामगारों ने 2019 में 99 ट्रिलियन युआन के उत्पाद व सेवाएं दीं। अमेरिका में यह 21.4 ट्रिलियन डॉलर था। उस साल एक डॉलर 6.9 युआन के बराबर था, उस हिसाब से यह 14 ट्रिलियन डॉलर के बराबर था। लेकिन डॉलर की मौजूदा कीमत 3.8 युआन है, इस हिसाब से चीनी अर्थव्यवस्था 26 ट्रिलियन डॉलर की हो गई।'
'द इकोनॉमिस्ट' की रिपोर्ट का अंश
जीडीपी वृद्धि दर
इसे दूसरे आँकड़े से समझते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में कहा है कि चीन इसी साल सकारात्मक वृद्धि दर दर्ज करेगा और इसकी जीडीपी में लगभग 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर देखी जाएगी। पूरी दुनिया में सिर्फ दो ही देश सकारात्मक वृद्धि दर हासिल कर पाएंगे- चीन और वियतनाम।
आईएमएफ़ का कहना है कि अगले साल चीन की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी जाएगी। अमेरिकी विकास दर इस साल शून्य से नीचे ही रहेगी, लेकिन अगले साल वह 3.1 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। इस वजह से चीन और अमेरिका में बहुत बड़ा अंतर पैदा हो जाएगा।
इसे कुछ दिन पहले प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आउटलुक 2020 से समझा जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इस मुखपत्र ने यह भी कहा है कि असली विकास दर इससे कहीं ज्यादा होगी। उसने नैशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के हवाले से कहा है कि पूरे साल की वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत होगी। इसने झिजिन इनवेस्टमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट के अर्थशास्त्री लियान पिंग को उद्धृत करते हुए कहा है कि साल की दूसरी छमाही में खपत बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को इससे बहुत बड़ा सहारा मिलेगा।
सवाल यह उठता है कि अमेरिका और चीन के विकास के रास्तों में ऐसा क्या अंतर हुआ? डोनल्ड ट्रंप के अमेरिका फ़र्स्ट के बावजूद वह चीन से पिछड़ता क्यों चला गया? इन तमाम सवालों का जवाब अगले साल में साफ हो जाएगा जब चीन 8.1 की विकास दर के साथ अमेरिकी को बहुत ही पीछे छोड़ देगा।
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