सरकार के लिए कम से कम एक डर तो अब खत्म हो गया है। अब यह आशंका नहीं है कि 1 फ़रवरी को जब निर्मला सीतारमण वर्ष 2021-22 का बजट लोकसभा में पेश कर रही होंगी तो किसान दिल्ली में प्रदर्शन के लिए आने और संसद तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहे होंगे। लेकिन यह भी तय है कि सबका ध्यान इस ओर रहेगा कि इस बजट में किसानों को या कृषि क्षेत्र को क्या मिला?

महामारी और लॉकडाउन के कारण पैदा हुई भीषण मंदी में सरकार का राजस्व काफी घटा है। वह कितना भी दिल खोल ले लेकिन खर्च के मामले में सरकार के हाथ काफी कुछ बंधे हुए ही रहेंगे। महामारी के कारण यह दबाव भी है कि सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में, खासकर स्वास्थ्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पहले से ज़्यादा खर्च करे।
पूरे देश में जिस तरह का किसान असंतोष है, वह निश्चित तौर से सरकार पर यह दबाव तो बनाएगा ही कि सरकार इस बजट में किसानों के लिए कुछ ठोस करती हुई दिखे।