जीडीपी विकास दर के जिन आँकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने के आरोप लगते रहे हैं उनको अब शोध के ज़रिए साबित करने की कोशिश की गई है। यह शोध किसी और ने नहीं, बल्कि पिछली नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने किया है। सुब्रमण्यन का मानना है कि 2011-12 और 2016-17 के बीच भारत की औसत वार्षिक वृद्धि को क़रीब 2.5 प्रतिशत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। सुब्रमण्यन ने मंगलवार को सार्वजनिक किए गए एक नए शोध पत्र में कहा है कि 2011 और 2016 के बीच 6.9% की वृद्धि के बजाय वास्तविक विकास दर संभव है कि 3.5% और 5.5% के बीच रही। बता दें कि मोदी सरकार द्वारा पेश किये गये जीडीपी के आँकड़ों पर लगातार सवाल उठते रहे हैं और इसको बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाने का आरोप लगता रहा है। हाल ही में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस (एनएसएसओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीडीपी आकलन जिस सर्वे के आधार पर किया गया है, उसका 37 प्रतिशत डाटा बेनामी कंपनियों का है। इससे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी जीडीपी के आँकड़ों पर संदेह जताया था। 2015 में जीडीपी दर को तय करने वाले आधार वर्ष को भी बदला गया।
5 साल जीडीपी को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया: सुब्रमण्यन
- अर्थतंत्र
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- 11 Jun, 2019
अब शोध में दावा किया गया है कि जीडीपी के आँकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया। यह शोध किसी और ने नहीं, बल्कि पिछली नरेंद्र मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन ने किया है।
