डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तानी रुपये का आज का भाव 150 रुपये है। पाकिस्तान में एक किलो टमाटर 300 रुपये किलो बिक रहा है। सड़कों पर लोग अटकलें लगाने लगे हैं कि क्या इस बार लश्कर और जैश के ख़िलाफ़ वाक़ई सरकार सचमुच क़दम उठाने वाली है?
क्या मूडीज़, स्टैंडर्ड एंड पूअर और फ़िच जैसी रेटिंग एजेन्सियाँ पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग कम कर देंगी और उसके बाद निजी कंपनियाँ भी वहाँ निवेश करने से कतराने लगेंगी?
क्या है एफ़एटीएफ़?
एफ़एटीएफ़ 36 देशों का संगठन है, जिसका मक़सद ऐसे तमाम वित्तीय लेनदेन को रोकना है, जिससे मनी-लॉन्डरिंग होती हो, आतंकवादी संगठनों या लोगों को धन मुहैया कराना मुमकिन हो या दूसरी तरह के ग़ैर-क़ानूनी आर्थिक क्रिया-कलाप होते हों। इसकी स्थापना 1989 में हुई और इसका मुख्यालय पेरिस है। इसकी स्थापना जी-7 देशों ने मनी-लॉन्डरिेंग रोकने के लिए की थी, पर 2001 में 9/11 के हमले के तुरन्त बाद अक्टूबर में हुई बैठक में आतंकवाद से लड़ने को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
एफ़एटीएफ़ की कार्रवाई
एफ़एटीएफ़ ने 27 फ़रवरी 2015 को एक बेहद महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी। इसमें इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड लेवान्त (आईएसआईएल) के वित्तीय ढाँचे पर था। इसमें तीन महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें की गई थीं।- 1.किसी भी आतंकवादी व्यक्ति और आतंकवादी सगंठन को किसी तरह की वित्तीय मदद करना अपराध घोषित कर दिया जाए।
- 2.आतंकवादी लोगों और संगठनों की हर किस्म की जायदाद को फ़्रीज कर दिया जाए और हर तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाएँ।
- 3.ऐसी प्रक्रिया विकसित की जाए, जिससे संयुक्त राष्ट्र की सिफ़ारिशों के मुताबिक आतंकवाद से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सके।
क्या है पाकिस्तान का स्टैटस?
एफ़एटीएफ़ के रडार पर पाकिस्तान पहले से ही है। इसने फ़रवरी 2015 में कहा था कि मनी लॉन्डरिंग रोकने में पाकिस्तान ने पहले से बेहतर काम किया है, लिहाज़ा उसे निगरानी सूची से बाहर कर दिया जाए। इसके बाद जुलाई 2018 में पाकिस्तान को एक बार फिर निगरानी सूची में डाल दिया गया। लेकिन इस बार उस पर ज़्यादा गंभीर आरोप हैं।आर्थिक बदहाली
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली एफ़एटीएफ़ के निशाने पर होने तक सीमित नहीं है। इसकी अर्थव्यवस्था एकदम ख़स्ताहाल है। हाल तो यह है कि सरकार के पास रोज़मर्रा के खर्च चलाने और कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं है। इसने आईएमएफ़ से पैसे लेने की जुगत भिड़ाई तो अमेरिका ने अड़ंगा लगाया। आईएमएफ़ ने कहा कि वह उस पैसे से पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे के मद में भुगतान कर देगा, इसलिए उसे पैसे नहीं दिए जाएँगे। ख़ैर अमेरिका को किसी तरह समझा-बुझा कर और उस पर चीन का दबाव डलवा कर उसने आईएमएफ़ से पैसे मिलने का रास्ता साफ़ किया।राजनीतिक उथल-पुथल?
पाकिस्तान पुलिस ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी को मनी-लॉन्डरिंग के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए इमरान ख़ान सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है और कहा है कि उनकी राजनीति ख़त्म करने की योजना के तहत किया गया है। सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट जाने और मामला दर्ज करने का फ़ैसला भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनी संस्था नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो का था, इसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती।एक बेहद दिलचस्प बात यह है कि न तो सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (पीटीआई) के किसी बड़े नेता को अब तक गिरफ़्तार किया गया है न ही सेना का कोई बहुत बड़ा अफ़सर एनएबी के निशाने पर है।
पाकिस्तान सरकार ने सभी लोगों से कहा है कि वे 30 जून तक अपनी बेनामी जायदाद की घोषणा कर देंगे तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी। लगता नहीं है कि इसका कोई ख़ास असर होगा।
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