सुप्रीम
कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को निर्देश दिया कि
वह अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों
की जांच दो महीने के भीतर करे। सेबी, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी
समूह पर लगाए गये आरोपों
के साथ-साथ रिपोर्ट के प्रकाशन से ठीक पहले और बाद की बाजार बाजार की गतिविधियों
के उल्लंघनों की जांच कर रहा है।
चीफ
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच ने आदेश दिया कि सेबी यह भी जांच करे कि क्या प्रतिभूति अनुबंध विनियमन
नियमों के नियम 19 (ए) का उल्लंघन हुआ है; (ख)
क्या संबंधित पक्षों के साथ लेन-देन और कानून के अनुसार संबंधित जानकारियों का खुलासा
करने में सेबी की विफल रही है? (ग) क्या मौजूदा कानूनों का
उल्लंघन करते हुए स्टॉक मूल्यों में कोई हेरफेर किया गया था।
ताजा ख़बरें
कोर्ट
ने अपने अपने आदेश में कहा, ''उपरोक्त निर्देशों का यह अर्थ
नहीं लगाया जाना चाहिए कि यह चल रही जांच की को सीमित करता है। सेबी दो महीने के
भीतर अपनी जांच पूरी करे और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे के प्रकाश में नियामक तंत्र की समीक्षा के लिए एक
विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस
पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बैंच ने समिति के सदस्यों के रूप में
निम्नलिखित व्यक्तियों को नियुक्त किया: समिति के सदस्यों के रूप में ओपी भट, रिटायर्ड
जस्टिस जेपी देवदत्त, नंदन नीलाकेनी, केवी
कामथ, सोमशेखरन सुंदरेसन शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड
जस्टिस न्यायमूर्ति एएम सप्रे इस समिति के अध्यक्ष होंगे।
समिति 2 महीने के भीतर सीलबंद
लिफाफे में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करेगी। सेबी विशेषज्ञ समिति को निर्देशों
को आगे बढ़ाने के लिए की गई कार्रवाई के साथ-साथ चल रही जांच के हिस्से के रूप में
उठाए गए कदमों के बारे में भी सूचित करेगा।
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