इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन या सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। वैसे तो इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि नियम ऐसे हैं कि बिना पैन कार्ड के आप 20,000 रुपए महीने से ज़्यादा के काम नहीं कर सकते। आप इससे भी कम कमाते हों, दिहाड़ी मज़दूरी करते हों तो भी पैसे देने वाला चाहेगा कि आपके पास पैन हो और अगर नहीं होगा तो वह उसे प्राथमिकता देगा जिसके पास पैन होगा। ऐसे में पैन कार्ड दिहाड़ी मज़दूरों के लिए तो मुसीबत हैं लेकिन ताज्जुब की बात है कि करोड़ों की संपत्ति वाले नेताओं के पास पैन कार्ड नहीं हैं या उनके लिए ज़रूरी नहीं है। अगर आप किसी व्यक्ति या संस्था से 30,000 रुपए से ज़्यादा का भुगतान लेते हैं तो नियम है कि उसे स्रोत पर कर (टीडीएस) काटना है। ऐसे में आपके भुगतान से टीडीएस कट जाएगा और आपकी कुल कमाई पर आयकर देय नहीं है तो आपको रिटर्न फ़ाइल करने पर ही ये पैसे वापस मिलेंगे। नहीं करेंगे या नहीं करते हैं तो यह पैसा सरकार के पास रह जाएगा। ऐसे में सामान्य कमाने वाला कौन आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करेगा और उसके पास पैन कार्ड नहीं होगा।
आधार से रिटर्न पर पैन में गड़बड़ियाँ संभव, कौन होगा दोषी?
- अर्थतंत्र
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- 8 Jul, 2019

इस बार बजट की ख़ास बातों में एक था- बिना पैन यानी सिर्फ़ आधार नंबर पर आयकर जमा हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि इससे क्या दो-दो पैन कार्ड बन जाने की गड़बड़ियाँ नहीं होंगी? और फिर पैन की ज़रूरत ही क्यों रहेगी?