कोवैक्सीन को अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिल पाई है। डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को कहा है कि आपातकालीन उपयोग के लिए कोवैक्सीन की सिफारिश करने से पहले कंपनी से टीके के बारे में अतिरिक्त स्पष्टीकरण की ज़रूरत है। इसने कहा है कि इसके बाद टीके के जोखिम और फायदे का आख़िरी मूल्यांकन किया जाएगा। तकनीकी सलाह समूह 3 नवंबर को इसका आख़िरी मूल्यांकन करेगा।
इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि मंगलवार-बुधवार तक कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी वाली सूची यानी ईयूए में शामिल कर लिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नयी अड़चन इसलिए आई है कि डब्ल्यूएचओ को अभी भी कई सवालों के जवाब चाहिए।
डबल्यूएचओ की ईयूए के बिना कोवैक्सीन को दुनिया भर के अधिकांश देशों में स्वीकृत वैक्सीन नहीं माना जाएगा। इससे पहले पिछले महीने भी डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक को कई सवाल भेजे थे। हालाँकि कंपनी यह दावा करती रही है कि उसने मंजूरी के लिए सभी ज़रूरी आँकड़े जमा कर दिए हैं। ख़ुद भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका संकेत दिया था कि जल्द ही डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल जाएगी। इससे पहले सितंबर महीने में ही वैक्सीन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल ने भी कहा था कि कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी इस महीने के अंत से पहले आने की संभावना है।
अब अक्टूबर महीना ख़त्म होने को है, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली है।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि टीएजी ने आज (26 अक्टूबर) को मुलाक़ात की और फ़ैसला किया कि वैक्सीन के वैश्विक उपयोग के लिए अंतिम ईयूएल जोखिम-लाभ मूल्यांकन के लिए निर्माता से अतिरिक्त स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
Update: The @WHO independent TAG met today & asked for addnl clarifications from the manufacturer @BharatBiotech to conduct a final EUL risk-benefit assessment for global use of #Covaxin. It will reconvene for the final assessment on Wednesday, 3 November if data received soon
— Soumya Swaminathan (@doctorsoumya) October 26, 2021
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसे इस सप्ताह के अंत तक भारत बायोटेक से ये स्पष्टीकरण मिलने की उम्मीद है।
पिछले हफ्ते डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि वह भारत बायोटेक से कोवैक्सीन के बारे में एक अतिरिक्त जानकारी की उम्मीद कर रहा है। इसने कहा था कि यह सुनिश्चित करने के लिए गहन मूल्यांकन की आवश्यकता है कि टीके सुरक्षित हैं और आपातकालीन उपयोग के लिए अनुशंसा की जा सकती है।
डब्ल्यूएचओ ने 18 अक्टूबर को एक ट्वीट में कहा था, 'हम जानते हैं कि बहुत से लोग कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल होने के लिए डब्ल्यूएचओ की सिफारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन हम जैसे-तैसे काम नहीं कर सकते हैं। आपातकालीन उपयोग के लिए किसी उत्पाद की सिफारिश करने से पहले हमें इसका अच्छी तरह से मूल्यांकन कर यह सुनिश्चित करना होता है कि यह सुरक्षित और प्रभावी है।'
विवादों में रही है कोवैक्सीन
वैसे, भारत में इस कोवैक्सीन को मंजूरी इस साल जनवरी की शुरुआत में ही मिल गई थी। यानी इसके 10 महीने में भी डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिल पाई है। जब भारत में इसको मंजूरी मिली थी तब इस पर काफ़ी विवाद हुआ था। कोवैक्सीन को तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के बिना ही मंजूरी देने पर वैज्ञानिकों ने भी सवाल खड़े किए थे। बाद में सरकार की ओर से सफ़ाई दी गई थी कि कोवैक्सीन को 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में मंजूरी दी गई।
जब तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े आए तो 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' का ठप्पा हटाया गया था। जून महीने में भारत बायोटेक ने कहा था कि वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में 77.8 फ़ीसदी प्रभावी रही। उसने कहा था कि यह ट्रायल 25 हज़ार 800 प्रतिभागियों पर किया गया।
कोविशील्ड डब्ल्यूएचओ की सूची में एकमात्र भारत निर्मित वैक्सीन है। इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका ने विकसित किया है, लेकिन पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने अब तक कोविशील्ड के अलावा फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन, मॉडर्ना और सिनोफार्म द्वारा निर्मित टीकों को भी मंजूरी दी है।
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