समझा जाता है कि किसानों का एक बड़ा तबका आन्दोलन ख़त्म किए जाने के पक्ष में है। उनका तर्क है कि जब सरकार उनकी माँगे मान रही है तो आन्दोलन का कोई औचित्य नहीं बचा है।
लेकिन कुछ किसानों का मानना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अहम है और इस पर सरकार से बात करनी चाहिए व उस पर दवाब डालना चाहिए। किसानों के एक धड़े का मानना है कि एमएसपी पर सरकार को क़ानूनी गारंटी देनी चाहिए। वह जब तक इस पर आश्वासन नहीं देती है तब तक आन्दोलन जारी रखना चाहिए।
क्या है किसानों की माँगें?
- एमएसपी की गारंटी देते हुए एक क़ानून बनाया जाए।
- सरकार कृषि आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा दे।
- कई राज्यों में किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाएँ।
- बिजली बिल और पराली बिल को निरस्त किया जाए।
- लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अभियुक्त आशीष मिश्रा के पिता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए।
सरकार किन माँगों को मानने को तैयार है?
- इसके जवाब में सरकार का कहना है कि वह एमएसपी पर कमेटी बना देगी, जिसमें संयुक्त किसान मार्चो के 5 सदस्य शामिल किए जाएंगे।
- सरकार एक साल के भीतर किसानों पर दर्ज किए गए मामले वापस लेने पर राजी है।
- केंद्र सरकार आन्दोलन के दौरान मारे गए किसानों को पंजाब सरकार के मॉडल पर मुआवजा देने को भी तैयार है।
- सरकार का कहना है कि वह बिजली संशोधन बिल संसद में पेश करने से पहले सभी संबंधित पक्षों से राय मशविरा करेगी।
- पराली के मुद्दे पर सरकार ने जो क़ानून पारित किया है, इसमें धारा 14 और 15 में आपराधिक जवाबदेही से किसानों को अलग कर दिया गया है।
- लेकिन सरकार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने पर कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं है।
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