शुरुआत में यह एक सामान्य खबर थी। दिल्ली पुलिस ने इसे सामान्य खबर की तरह बताया था। लेकिन द टेलीग्राफ अखबार ने तहकीकात करके इसे खास खबर बना दिया है। पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि मंगलवार को एक मंदिर के पास एक दुकान से प्रसाद चुरा कर खाने के संदेह में एक फल विक्रेता के 26 वर्षीय बेटे की हत्या कर दी गई। उसकी पहचान मोहम्मद ईसार के रूप में हुई है। आरोप है कि उसे भगवा कपड़े से बिजली के खंभे से बांध दिया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया। मोहम्मद ईसार स्पेशल चाइल्ड था। ऐसे बच्चे जो मंद बुद्धि की श्रेणी में आते हैं।
यह घटना उत्तर पूर्वी दिल्ली के सुंदर नगरी में हुई। उत्तर पूर्वी दिल्ली के इस इलाके में फरवरी 2020 में दंगे हुए थे जिसमें 53 लोग मारे गए थे। जिसमें समुदाय विशेष के लोग सबसे ज्यादा थे। बाद में पुलिस ने गिरफ्तारियां भी उसी समुदाय के लोगों की सबसे ज्यादा कीं। उनमें से काफी लोग आज भी जेलों में हैं। अदालत में उनकी जमानत अर्जी बार-बार खारिज हो जाती है।
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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ द्वारा की गई इस हत्या के आरोप में बुधवार को कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई। अधिकारी ने कहा, "जांच चल रही है और हम आरोपियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन पर शूट किए गए वीडियो की जांच कर रहे हैं।"
अधिकारी ने कहा, "मोहम्मद ईसार के परिवार ने आरोप लगाया है कि इलाके में एक मंदिर से प्रसाद चुराने के संदेह में उसे पीट-पीटकर मार डाला गया।"
द टेलीग्राफ के मुताबिक ईसार के परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों ने बताया कि इलाके में कई निवासी मूकदर्शक बने रहे। युवक पर बेरहमी से हमला होता रहा और वो लोग तमाशा देखते रहे, कोई बचाने नहीं आया।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि “शुरुआती जांच से पता चला है कि पीड़ित युवक मानसिक रूप से बीमार था। भीड़ ने उससे तमाम सवाल किए लेकिन वो किसी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। फिर उन्होंने उसे एक खंभे से बांध दिया और लाठियों से बेरहमी से पीटा।”
द टेलीग्राफ के मुताबिक इस सिलसिले में घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें दिख रहा है कि ईसार को भगवा कपड़े के साथ बिजली के खंभे से बांध दिया गया है और लोग बारी-बारी से उसे लाठियों से मार रहे हैं। एक प्वाइंट पर दो लोग उसे मारते हुए दिखाई देते हैं जबकि ईसार दर्द से रोता है। वीडियो का एक हिस्सा दिन के उजाले में शूट किया गया था जबकि कुछ अन्य हिस्से अंधेरे में कैप्चर किए गए थे, जिससे पता चलता है कि हमला लंबे समय तक जारी रहा। शुरू में, एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि "उसे मत मारो।" लेकिन अन्य लोग ईसार को पीटते रहते हैं, जबकि वह दर्द से रोता नजर आता है और बचाने की गुहार लगाता है। हमलावरों को ईसार से गालियां देते हुए भी सुना गया।
पुलिस ने फल विक्रेता और सुंदर नगरी निवासी ईसार के पिता 60 वर्षीय अब्दुल वाजिद की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि चोरी के संदेह में कुछ लोगों द्वारा बेरहमी से पीटे जाने के बाद उनके बेटे की मौत हो गई।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "वाजिद ने कहा कि उनका बेटा मंगलवार दोपहर को पड़ा हुआ मिला और उसके पूरे शरीर पर गंभीर चोट के निशान थे।"
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विकलांगों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय मंच (एनपीआरडी) ने ईसार की हत्या की कड़ी निंदा की।
एनपीआरडी के महासचिव मुरलीधरन ने एक बयान में कहा, "रिपोर्टों के मुताबिक, इलाके के एक मंदिर में प्रसाद खाने के आरोप में ईसार को एक खंभे से बांध दिया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया। आए दिन विकलांग लोगों के साथ दुर्व्यवहार, शारीरिक हमले और हत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। विकलांग लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाए जाने के साथही इसने बहुत खतरनाक आयाम हासिल कर लिया है। उनके मुताबिक, इस साल विकलांग व्यक्तियों की यह तीसरी हत्या है। 25 फरवरी को, बिहार के समस्तीपुर में मोहम्मद फैयाज़, जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित था, को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। फिर 27 जून को बिहार के सारण जिले में, 55 वर्षीय विकलांग ट्रक ड्राइवर जहीरुद्दीन को गोरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला।''
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