सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी। वह पिछले चार साल से जेल में थे। अदालत ने इस बात पर गौर किया कि वह पहले ही चार साल से ज़्यादा समय से जेल में हैं और अभी तक उनपर आरोप तक तय नहीं हो पाए हैं। उनको एल्गार परिषद के मामले में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, एल्गार परिषद सम्मेलन के कारण अगले दिन भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। बाद में उन पर माओवादियों से संबंध रखने का भी आरोप लगा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दी गौतम नवलखा को जमानत- '4 साल में भी आरोप तय नहीं'
- देश
- |
- 14 May, 2024
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के चार साल से ज़्यादा समय होने के बाद भी अब तक आरोप तय क्यों नहीं हो पाए? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाते हुए क्या राहत दी।

गौतम नवलखा गिरफ़्तारी के बाद से जेल में थे। पिछले साल बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनको जमानत तो दे दी थी, लेकिन इसके साथ ही अदालत ने अपने फ़ैसले पर रोक लगा दी थी। यानी जमानत मिलने के बाद भी उन्हें घर में नज़रबंद ही रहना पड़ा। वह 2022 से ही नज़रबंद थे। सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को आगे बढ़ाने की मांग की गई थी।