एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की गिरफ्तारी के चार साल से ज़्यादा समय होने के बाद भी अब तक आरोप तय क्यों नहीं हो पाए? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाते हुए क्या राहत दी।
भीमा कोरेगांव मामले में क़रीब पाँच साल पहले हिरासत में लिए गए एक्टिविस्ट वर्नोन गोंसाल्वेस, अरुण फरेरा को बड़ी राहत मिली है। जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्या फ़ैसला दिया।
भीमा कोरेगाँव हिंसा का दोषी कौन है? सरकार, पुलिस और एनआईए चार साल में भी जवाब नहीं ढूँढ पाई? क्या इस मामले में एल्गार परिषद का कुछ भी हाथ नहीं था? जानिए शीर्ष जाँच अधिकारी की स्वीकारोक्ति।
आनंद तेलतुंबडे को जमानत देते वक्त हाई कोर्ट के जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस मिलिंद जाधव की डिवीजन बेंच ने कहा था कि आनंद के खिलाफ आतंकी गतिविधि में शामिल होने के कोई सबूत नहीं हैं। हाईकोर्ट ने 18 नवंबर को उन्हें जमानत दे दी थी। इसके खिलाफ एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।