हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
चंपाई सोरेन
बीजेपी - सरायकेला
आगे
मालेगाँव धमाके में इस्तेमाल की गयी बाइक की मालिक प्रज्ञा सिंह ठाकुर से जब एटीएस ने मुंबई में पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि मेरा इसमें कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें आर्मी के एक अधिकारी का हाथ है जो पँचमढ़ी में अरबी सीख रहा था। प्रज्ञा ने उस अधिकारी का नाम तो नहीं बताया लेकिन उनके मोबाइल में उसका नंबर था। एटीएस ने सेना से संपर्क किया कि आपका कौन अधिकारी है जो पँचमढ़ी में अरबी सीख रहा है तो पता चला कि वह व्यक्ति ले. क. पुरोहित है। एटीएस ने तब तक पुरोहित का मोबाइल सर्विलांस पर ले लिया था और इसी सर्विलांस के दौरान पुरोहित का एक कॉल पकड़ा गया जिसमें वे सेना के एक पूर्व अधिकारी रमेश उपाध्याय से बात कर रहे थे।
आगे बढ़ने से पहले इस वार्तालाप में शामिल दोनों लोगों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। ले. कर्नल पुरोहित ने 1994 में मराठा लाइट इंफ़ैंटरी में कमिशंड अफ़सर के रूप में जॉइन किया। 2002-2005 के बीच वे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-विरोधी ऑपरेशन से जुड़े रहे। उसके बाद से वे सेना की ख़ुफ़िया शाखा (Military Intelligence यानी MI) में आए और जब उनका नाम मालेगाँव धमाके में आया तो वे इस ख़ुफ़िया शाखा में ही थे। मेजर रमेश उपाध्याय आर्मी के रिटायर्ड मेजर थे और पुरोहित के साथ अभिनव भारत संस्था की बैठकों में शिरकत करते थे। अभिनव भारत के बारे में चर्चा आगे करेंगे। फ़िलहाल बातचीत का ब्यौरा।
तारीख़ थी 23 अक्टूबर 2008 और समय था दिन के 11.23 बजे। पुरोहित और उपाध्याय इस वार्तालाप में उसी दिन अख़बारों में छपी ख़बरों को डिस्कस करते हैं।
पुरोहित - सर, आपने आज के इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की हेडलाइन पढ़ी है?
उपाध्याय - मैंने पढ़ा है कि मोड़ासा और मालेगाँव धमाकों के लिए इंदौर के हिंदू जागरण मंच को दोषी ठहराया जा रहा है।
पुरोहित - यानी सिंह साहिब।
उपाध्याय - ओके।
पुरोहित - इसका मतलब है जहाँ तक मिस्टर सिंह का मामला है, उनका भाँडा फूट चुका है।
यहाँ मिस्टर सिंह का मतलब प्रज्ञा सिंह ठाकुर से है जो अक्सर पुरुषों जैसे कपड़ों में रहती थीं।
आगे की बातचीत में पुरोहित और उपाध्याय इस बात पर चर्चा करते हैं कि क्या एटीएस के पास कोई सबूत है या बस तुक्का लगा रहा है। वे प्रज्ञा यानी सिंह साहिब की एलएमएल फ़्रीडम बाइक के बारे में भी बात करते हैं जिसपर बम फ़िट किया गया था हालाँकि वे इसे स्कूटर बताते हैं।
उपाध्याय - यानी वह भटकाने की रणनीति अपना रहा है… उसका कहना है कि उस (मालेगाँव में इस्तेमाल हुई वाहन) के कुछ हिस्से बदल दिए गए हैं… और जिस वाहन के पार्ट उसमें लगाए गए हैं, वे ऐसे किसी व्यक्ति के हैं जो इंदौर में एबीवीपी से जुड़ा हुआ है या ऐसा ही कुछ।
पुरोहित - अच्छा।
उपाध्याय - इसका सीधा-सादा मतलब यह है कि मान लो, किसी ने मेरा स्कूटर चुरा लिया है या फिर मैंने उसे रिपेयर के लिए दिया है और वहाँ किसी ने उसके पार्ट बदल दिए तो मुझे कैसे पता चलेगा?
पुरोहित - ओके।
उपाध्याय - मतलब वहाँ डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट नहीं है… वरना वे कहते कि यह इंदौर में रहनेवाले फलाँ व्यक्ति का है जो हिंदू जागरण मंच का सदस्य है और हमने उसे गिरफ़्तार किया है या ऐसा ही कुछ। उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा है कि हमने 30 लोगों को हिरासत में लिया है और यह हिंदू जागरण मंच का काम है।
उसी दिन प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ़्तार कर लिया जाता है और दोनों के बीच शाम को तीन बार और बात होती है। इस बातचीत में वे नए सिम कार्ड लेने और वकील की सेवा लेने की बात करते हैं और कहते हैं कि हमें सतर्क और होशियार रहना चाहिए। उपाध्याय यह संदेह भी जताते हैं कि प्रज्ञा पूछताछ में पुरोहित का नाम ले सकती हैं। उपाध्याय कहते हैं - वह (प्रज्ञा) तुम्हारा नाम लेगी लेकिन वे तुरंत तुम्हारा पता-ठिकाना नहीं जान पाएँगे। हो सकता है, वह तुम्हारा लोकेशन भी बता दे यदि उसको पता हो कि तुम यहाँ हो या वहाँ हो। तुम्हारा सही नाम भी वह नहीं जानती सो तुरंत तो कुछ नहीं होगा।
लेकिन वे ग़लत थे। प्रज्ञा एटीएस को ले. कर्नल पुरोहित के बारे में बता चुकी थीं हालाँकि उनका नाम उन्होंने नहीं बताया था लेकिन एटीएस यह पता लगाने में जुट गई थी कि सेना का यह अधिकारी कौन है। उसने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की मदद ली जिसके डायरेक्टर ने दिल्ली में आर्मी हेडक्वॉर्टर में संपर्क कर आर्मी चीफ़ जनरल दीपक कपूर से बात की। जनरल कपूर ने DG (MI) ले. जन. डी.एस. बर्थ्वाल से पूछा कि क्या हमारा कोई अफ़सर पँचमढ़ी में अरबी सीख रहा है। DG (MI) ने यह ज़िम्मेदारी मेजर जनरल जे. डी. एस. रावत को सौंपी जिनके अधीन काम कर रहे कर्नल आर. के. श्रीवास्तव ने पता लगाकर बताया कि वह व्यक्ति ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित है। कर्नल श्रीवास्तव उन दिनों काउंटर इंटेलिजेंस का काम देख रहे थे। मेजर जनरल रावत ने उनसे कहा कि वे पँचमढ़ी जाएँ और यह केस देखें।
कर्नल श्रीवास्तव अगले दिन यानी 24 अक्टूबर 2008 को दिल्ली से रवाना हुए। रवानगी से पहले DG (MI) ले. जन. डी.एस. बर्थ्वाल ने उनको बुलाया और कहा कि आप जाकर पता लगाएँ लेकिन यह ध्यान रहे कि किसी के साथ अन्याय न हो। उन्होंने इस सिलसिले में एक उदाहरण दिया जब पंजाब में आर्मी के एक कर्मचारी के घर में ग्रेनेड मिला था और पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया जबकि ग्रेनेड उसके घर में रहनेवाले किसी और व्यक्ति का लाया हुआ था। ले. जन. बर्थ्वाल ने कहा कि जब तक पुख़्ता सबूत न मिल जाएँ, तब तक उसे पूरा बेनिफ़िट ऑफ़ डाउट दिया जाए।
कर्नल श्रीवास्तव इसी ब्रीफ़िंग के साथ अगले दिन पँचमढ़ी के लिए रवाना हुए। पँचमढ़ी पहुँचने के बाद आगे क्या हुआ, यह हम जानेंगे अगली कड़ी में - पुरोहित ने प्रज्ञा को बताया था धमाके का ज़िम्मेदार।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें