भोपाल से बीजेपी ने कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ साध्वी प्रज्ञा सिंह को खड़ा कर दिया है। यह वही प्रज्ञा सिंह हैं, जिनके विरुद्ध मालेगाँव धमाके मामले में केस चल रहा है। बीजेपी चुनाव अभियान में अवश्य यह कहेगी कि प्रज्ञा को तब की यूपीए सरकार ने जानबूझकर इस आतंकवादी मामले में फँसाया है और यह हिंदुओं को बदनाम करने की साज़िश थी। लेकिन मुंबई की एनआईए अदालत का मत कुछ और है। 2014 में एडीए के सत्ता में आने के बाद एनआईए ने प्रज्ञा को मालेगाँव मामले में क्लीन चिट दे दी थी। लेकिन अदालत ने पिछले साल उस क्लीन चिट को ठुकराते हुए प्रज्ञा के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने का आदेश दिया। आख़िर अदालत को ऐसा क्यों लगा कि मालेगाँव मामले में प्रज्ञा के ख़िलाफ़ प्रथम दृष्ट्या सबूत हैं?