चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हड़काए जाने के बाद पक्ष-विपक्ष के चार नेताओं को उनकी सांप्रदायिक या अभ्रद भाषा के लिए दो दिन से लेकर तीन दिनों तक की चुप्पी की सज़ा दे दी है। चलिए, ये चार नेता तो थोड़ी देर के लिए ख़ामोश कर दिए गए मगर बाक़ियों पर ऐक्शन कब लेगा चुनाव आयोग, ख़ासकर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो अपने चुनाव भाषणों में वही और वैसी ही बातें कहते आए हैं लेकिन चुनाव आयोग ने एक बार भी उनके ख़िलाफ़ कोई ऐक्शन नहीं लिया है! ताज़ा उदाहरण बालाकोट वाला बयान है जिसपर मीडिया में चर्चा हुई थी लेकिन उसके बाद भी एक सांप्रदायिक भाषण दिया है मोदी ने जिसपर आयोग ने रिपोर्ट तक नहीं माँगी।