चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हड़काए जाने के बाद पक्ष-विपक्ष के चार नेताओं को उनकी सांप्रदायिक या अभ्रद भाषा के लिए दो दिन से लेकर तीन दिनों तक की चुप्पी की सज़ा दे दी है। चलिए, ये चार नेता तो थोड़ी देर के लिए ख़ामोश कर दिए गए मगर बाक़ियों पर ऐक्शन कब लेगा चुनाव आयोग, ख़ासकर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जो अपने चुनाव भाषणों में वही और वैसी ही बातें कहते आए हैं लेकिन चुनाव आयोग ने एक बार भी उनके ख़िलाफ़ कोई ऐक्शन नहीं लिया है! ताज़ा उदाहरण बालाकोट वाला बयान है जिसपर मीडिया में चर्चा हुई थी लेकिन उसके बाद भी एक सांप्रदायिक भाषण दिया है मोदी ने जिसपर आयोग ने रिपोर्ट तक नहीं माँगी।
सांप्रदायिक भाषण - मोदी को 'पकड़ना' मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है
- विचार
- |
- |
- 16 Apr, 2019

सुप्रीम कोर्ट का डंडा चला तो चुनाव आयोग ने भाषणों में सांप्रदायिक या अभ्रद भाषा बोलने वाले चार नेताओं को सज़ा दी। चुनाव भाषणों में वही और वैसी ही बातें कहने वाले नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ने एक बार भी कोई ऐक्शन नहीं लिया है! आख़िर मोदी बच क्यों निकलते हैं?
पहले बालाकोट वाले भाषण की बात।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश