बिहार चुनाव से पहले 2015 में 'आरक्षण नीति की समीक्षा' की बात कहकर हलचल मचाने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अब आरक्षण की पैरवी करते दिख रहे हैं। भागवत ने बुधवार को कहा है कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक समाज में भेदभाव मौजूद है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि आरएसएस संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरी तरह से समर्थन करता है। लेकिन क्या आरएसएस प्रमुख की राय आरक्षण पर हमेशा इसी तरह से साफ़-साफ़ रही है? यदि ऐसा है तो उनके बयानों पर अक्सर विवाद क्यों होता रहा है?
पहले 'समीक्षा', अब भेदभाव रहने तक आरक्षण, भागवत चाहते क्या हैं?
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- 7 Sep, 2023
आरक्षण पर दलितों और पिछड़ों की राय एकदम साफ़ है, लेकिन मोहन भागवत की राय क्या है? क्या उनकी राय भी साफ़ है या बदलती रहती है? जानें भागवत के विचार क्या हैं।

आरक्षण पर भागवत की कैसी-कैसी राय रही है, यह जानने से पहले यह जान लें कि उन्होंने अब क्या कहा है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'हमने अपने ही समाज के साथियों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह 2000 वर्षों तक जारी रहा। जब तक उनको समानता पर नहीं लाया जाता, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे। आरक्षण उनमें से एक है। इसलिए, आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक ऐसा भेदभाव न हो। आरएसएस संविधान में दिए गए आरक्षण को पूरा समर्थन देता है।'