बिहार चुनाव से पहले 2015 में 'आरक्षण नीति की समीक्षा' की बात कहकर हलचल मचाने वाले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अब आरक्षण की पैरवी करते दिख रहे हैं। भागवत ने बुधवार को कहा है कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक समाज में भेदभाव मौजूद है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि आरएसएस संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरी तरह से समर्थन करता है। लेकिन क्या आरएसएस प्रमुख की राय आरक्षण पर हमेशा इसी तरह से साफ़-साफ़ रही है? यदि ऐसा है तो उनके बयानों पर अक्सर विवाद क्यों होता रहा है?