राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है. आरएसएस का उद्धेश्य है हिंदू राष्ट्र की स्थापना. उसका दावा है कि वह एक सांस्कृतिक संस्था है. हमारे देश के संविधान का आधार है भारतीय राष्ट्रवाद मगर आरएसएस हिंदू राष्ट्रवाद की बात करता है और हिंदुओं को एक अलग राष्ट्र मानता है. समय-समय पर भाजपा के शीर्ष नेता यह मांग करते रहे हैं कि भारतीय संविधान को सिरे से बदल कर, भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए. यही बात आरएसएस के तत्कालीन सरसंघचालक के. सुदर्शन ने सन् 2000 में अपना पद संभालने के तुरंत बाद कही थी. सन् 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि अब भाजपा पहले से अधिक काबिल बन गई है और अब उसे चुनाव जीतने के लिए आरएसएस की मदद की जरूरत नहीं है.
सरकारी कर्मचारियों को क्या RSS का सदस्य बनने की इजाज़त हो?
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- 29 Mar, 2025

सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने पर लगी रोक को हटा लिया गया है। यह छूट उसे सांस्कृति गतिविधियों को चलाने की वजह से मिली है। देश में इस पर व्यापक बहस हो रही है। ताज्जुब है कि भाजपा को केंद्र में समर्थन दे रही जेडीयू और टीडीपी की इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जाने-माने चिंतक राम पुनियानी इसीलिए कह रहे हैं कि आरएसएस के चेहरे पर से सांस्कृतिक संगठन का मुखौटा हटाया जाना क्यों जरूरी है। पढ़िएः