उत्तरप्रदेश के हाथरस जिले में भगदड़ में कम से कम 121 लोग मारे गए. इनमें से अधिकांश निर्धन दलित परिवारों की महिलाएं थीं. भगदड़ भोले बाबा उर्फ़ नारायण साकार हरी के सत्संग में मची. भोले बाबा पहले पुलिस में नौकरी करता था. बताया जाता है कि उस पर बलात्कार का आरोप भी था. करीब 28 साल पहले उसने पुलिस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और बाबा बन गया. कुछ साल पहले उसने यह दावा किया कि वह कैंसर से मृत एक लड़की को फिर से जिंदा कर सकता है. जाहिर है कि ऐसा कुछ नहीं हो सका. बाद में बाबा के घर से लाश के सड़ने की बदबू आने पर पड़ोसियों ने पुलिस से शिकायत की. इस सबके बाद भी वह एक सफल बाबा बन गया, उसके अनुयायियों और आश्रमों की संख्या बढ़ने लगी और साथ ही उसकी संपत्ति भी.
असुरक्षा का भाव चमका रहा है बाबाओं का धंधा
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

गरीबी, असुरक्षा, अंधविश्वास बाबाओं के धंधे को खूब चमका रहे हैं। हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देश भी पीछे नहीं हैं लेकिन वहां भारत जैसा हाल नहीं है। हाल ही में हुई हाथरस की घटना बताती है कि कथित बाबा की चरण रज लेने के लिए जो भगदड़ हुई और उसमें जो लोग मारे गए, वे अधिकतर गरीब और दलित थे। बाबाओं से छुटकारा पाने के लिए लोगों को खुद जागरूक, तर्कशील और वैज्ञानिक सोच रखना होगी। जाने-माने चिंतक राम पुनियानी इस बार बाबाओं के धंधे पर टिप्पणी कर रहे हैं। जरूर पढ़िएः