गरीबी, असुरक्षा, अंधविश्वास बाबाओं के धंधे को खूब चमका रहे हैं। हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देश भी पीछे नहीं हैं लेकिन वहां भारत जैसा हाल नहीं है। हाल ही में हुई हाथरस की घटना बताती है कि कथित बाबा की चरण रज लेने के लिए जो भगदड़ हुई और उसमें जो लोग मारे गए, वे अधिकतर गरीब और दलित थे। बाबाओं से छुटकारा पाने के लिए लोगों को खुद जागरूक, तर्कशील और वैज्ञानिक सोच रखना होगी। जाने-माने चिंतक राम पुनियानी इस बार बाबाओं के धंधे पर टिप्पणी कर रहे हैं। जरूर पढ़िएः