हालिया लोकसभा आमचुनाव (मई 2024) में इंडियन गठबंधन ने जाति जनगणना के मुद्दे को अपने चुनाव अभियान में महत्वपूर्ण स्थान दिया. अन्य कारकों के अलावा, इस मुद्दे ने भी इंडिया गठबंधन के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन में अपना योगदान दिया. हालाँकि इस गठबंधन को सरकार बनाने लायक सीटें नहीं मिल सकीं. भाजपा के गठबंधन साथी नीतीश कुमार बिहार में पहले ही जाति जनगणना करवा चुके हैं, हालाँकि इस मुद्दे को अभी उन्होंने ठंडे बस्ते में रख छोड़ा है. राहुल गाँधी ने वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केन्द्रीय बजट पर चर्चा के दौरान लोकसभा में अपने भाषण में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. उन्होंने काफी ज़ोरदार और प्रभावी ढंग से जाति जनगणना की मांग उठाई. उन्होंने 'हलवा' (सरकार से मिलने वाले लाभ) का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि बजट तैयार करने वाले मुख्यतः ऊंची जातियों के हैं और बजट के लाभार्थी केवल चंद उच्च वर्ग हैं.
जाति जनगणना: सामाजिक न्याय की ओर कदम
- विश्लेषण
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- 9 Aug, 2024

भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी जाति जनगणना है। अगर विपक्ष ने भाजपा की इस नब्ज पर हाथ रख दिया तो उसकी फतह आसान हो जाएगी। भारतीय समाज जाति व्यवस्था के चंगुल में बुरी तरह फंसा हुआ है। ऐसे में जाति जनगणना होना जरूरी है। क्योंकि हिस्सेदारी और भागीदारी का सवाल तभी सुलझेगा। लेकिन जैसे ही तमाम जातियों को अपनी आबादी पता चलेगी, भाजपा और संघ के सपने चकनाचूर हो जाएंगे। इसलिए जाति जनगणना पर आंदोलन खड़ा किया जाना चाहिए। इसी संदर्भ में जाने-माने विचारक राम पुनियानी का यह लेख पढ़िएः