भाजपा के लिए सन 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे. लोकसभा में उसके सदस्यों की संख्या 303 से घट कर 240 रह गई. नतीजा यह कि पिछली बार जहाँ केवल नाम की गठबंधन (एनडीए) सरकार थी वहीं इस बार सरकार वास्तव में एक पार्टी की न होकर गठबंधन की नज़र आ रही है. पिछली और उसकी पिछली सरकारों में गठबंधन दलों की सुनने वाला कोई नहीं था. मगर अब इस बात की काफी अधिक संभावना है कि गठबंधन के साथी दलों की राय ओर मांगों को सरकार सुनेगी और उन पर विचार करेगी. इसके चलते भाजपा अपना हिन्दू राष्ट्रवादी एजेंडा उतनी आसानी से लागू नहीं कर पाएगी, जितना पहले कर लेती थी. इसके अलावा, इंडिया गठबंधन की ताकत में भी इजाफा हुआ है और राहुल गाँधी की लोकप्रियता में भी बढ़ोत्तरी हुई है. विपक्ष अब अपनी बात ज्यादा दमख़म से कह पा रहा है.
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद आरएसएस की चुनावी रणनीतियां
- विश्लेषण
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- 31 Sep, 2024

लोकसभा चुनाव 2024 के उत्साहजनक नतीजों के बाद यह ढिंढोरा पीटा गया कि आरएसएस के सक्रिय नहीं होने से भाजपा की कम सीटें आईं और गठबंधन की सरकार बनाना पड़ी। मगर यह मानना भूल होगी कि आरएसएस चुनाव में भाजपा की हार चाहता था। भाजपा की गाड़ी का स्टीयरिंग व्हील अब भी आरएसएस के हाथों में है। संघ पिछली सीट पर बैठ कर गाड़ी चला रहा है।