सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस से जुड़ने पर लगी रोक को हटा लिया गया है। यह छूट उसे सांस्कृति गतिविधियों को चलाने की वजह से मिली है। देश में इस पर व्यापक बहस हो रही है। ताज्जुब है कि भाजपा को केंद्र में समर्थन दे रही जेडीयू और टीडीपी की इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जाने-माने चिंतक राम पुनियानी इसीलिए कह रहे हैं कि आरएसएस के चेहरे पर से सांस्कृतिक संगठन का मुखौटा हटाया जाना क्यों जरूरी है। पढ़िएः