विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं का पालन करने वाले हिंदू संप्रदाय के चार शंकराचार्यों में से दो ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का "खुले तौर पर स्वागत" किया है। हालाँकि, आलोक कुमार इस बात पर मौन साध गए कि इन दोनों से कोई समारोह में शामिल होगा या नहीं। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि वो लोग "अपनी सुविधा के अनुसार" मंदिर जाएंगे। शीर्ष आध्यात्मिक नेताओं द्वारा अभिषेक समारोह में शामिल नहीं होने के फैसले की खबरों पर विपक्षी दलों द्वारा भाजपा पर निशाना साधने के बाद राजनीतिक घमासान छिड़ गया है।
इस बीच, कर्नाटक मठ के शंकराचार्य ने लोगों से इस आयोजन पर "झूठे प्रचार" पर ध्यान न देने का अनुरोध किया और श्रृंगेरी मठ द्वारा इस संबंध में अपनी नाराजगी वाली खबरों को खारिज कर दिया। मठ ने कहा कि एक सोशल मीडिया पोस्ट, जिसमें दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर, परमपूज्य परमपूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री भारती तीर्थ महास्वामी की एक तस्वीर है, बताती है कि श्रृंगेरी शंकराचार्य ने एक संदेश में, प्राण-प्रतिष्ठा पर नाराजगी व्यक्त की है। हालांकि, श्रृंगेरी शंकराचार्य ने ऐसा कोई संदेश नहीं दिया है।''
विहिप के कार्यकारी प्रमुख आलोक ने कहा कि ओडिशा के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य ने राम मंदिर के निर्माण पर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "केवल ज्योतिर्पीठ शंकराचार्य ने ही कुछ टिप्पणियां की हैं।" यहां बताना जरूरी है कि ओडिशा और श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य अभी भी 22 जनवरी को अयोध्या जाने पर मौन हैं।
इससे पहले उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के 1008 शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था- “अयोध्या में राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है। भारत में राजा (राजनीतिक नेता) और धार्मिक नेता हमेशा अलग-अलग रहे हैं, लेकिन अब राजनीतिक नेता को धार्मिक नेता बनाया जा रहा है। यह परंपराओं के खिलाफ है और राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी मंदिर में निर्माण कार्य पूरा होने से पहले प्रवेश या अभिषेक नहीं हो सकता।
A video of Shankaracharya of Jyotirmath slamming BJP and Modi is now viral across India.
— Roshan Rai (@RoshanKrRaii) January 12, 2024
Watch it before it is taken down.pic.twitter.com/T2sbMjAT6m
उन्होंने कहा- “अगर राम मंदिर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है, तो यह मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा से पहले रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों को दिया जाना चाहिए। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी।'' संत ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बस उन्हें चेतावनी देना चाहते हैं कि वे किसी भी ऐसी चीज में भाग न लें जो 'धर्म-विरोधी' हो।
Puri Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati not going to Jan 22 Ayodhya Ram Temple opening, despite getting invite. Says the rituals must conform to Shastras. Read in TNIE/TMS today. @NewIndianXpress @TheMornStandard @santwana99 @Shahid_Faridi_ pic.twitter.com/NKtGSceOWm
— Anuraag Singh (@anuraag_niebpl) January 5, 2024
उन्होंने कहा कि लोगों को यह सोचने की जरूरत है कि अगर प्रधानमंत्री ही सब कुछ कर रहे हैं तो 'धर्माचार्य' (धार्मिक शिक्षक) के लिए अयोध्या में करने के लिए क्या बचा है। हालांकि, संत ने पीएम मोदी द्वारा एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में खुद को पेश नहीं करने और 'सनातन धर्म' को पूरा सम्मान दिखाने के लिए तारीफ की।
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