राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को विपक्ष के आला नेताओं से बातचीत की। द्रौपदी मुर्मू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी के मुखिया शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात कर राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन मांगा। उन्होंने शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्र सरकार के कई मंत्रियों, बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं की मौजूदगी में राष्ट्रपति चुनाव के लिए पर्चा भी भरा।
जबकि उनके सामने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को नामांकन दाखिल करेंगे।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शुक्रवार को द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी के समर्थन को लेकर विपक्षी नेताओं से संपर्क साधा। नड्डा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से बात की है।
नड्डा ने जनता दल (एस) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को भी फोन किया और राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की अपील की।
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
एनडीए के पास हैं 49 फीसदी वोट
राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4809 मतदाता हैं। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, वह जीत जाएगा। एनडीए के पास इसमें से 5,32,351 यानी 49 फीसदी वोट हैं।
बीजेडी के पास 31,686, वाईएसआर कांग्रेस के पास 45,550 और एआईएडीएमके के पास 14,940 वोट हैं। लेकिन बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन ही द्रौपदी मुर्मू की जीत के लिए काफी है और दोनों ही दलों ने उन्हें समर्थन भी दे दिया है। ऐसे में द्रौपदी मुर्मू की जीत तय है। इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा भी द्रौपदी मुर्मू के नाम का समर्थन कर सकता है।
बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के भी संपर्क में है। आने वाले दिनों में बीजेपी के आला नेता इन दलों के नेताओं से भी मुर्मू को समर्थन देने को लेकर बातचीत करेंगे। इसके अलावा एनडीए को शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के गुट के विधायकों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है।
ऐसे में कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी बेहद कमजोर पड़ती दिख रही है।
सियासी फायदे की उम्मीद
बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाने से उसे देशभर में 8.6 फीसदी आबादी वाले आदिवासी समाज का समर्थन चुनावों में मिलेगा। विशेषकर ओडिशा में उसे इससे बड़ा सियासी फायदा मिलेगा क्योंकि द्रौपदी द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से ही आती हैं।
अगर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के चुनाव में जीत हासिल करती हैं तो वह पहली आदिवासी महिला होंगी जो इस पद पर चुनी जाएंगी। इससे पहले वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
अपनी राय बतायें