राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू बहुत आसानी से जीतने जा रही है। उनका मुकाबला विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से है। लेकिन सिन्हा को तमाम राज्यों से पूरा समर्थन नहीं है। उनके मुकाबले द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी के अलावा बीजू जनता दल (बीजेडी), वाईएसआर कांग्रेस, जेडीयू, जेडीएस (देवगौड़ा की पार्टी), झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा भी कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन है। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के पास 1086431 वोटों में से 49% या 5,32,351 वोट हैं। बीजेडी के 31,686 वोट, आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी के 45,550 और एआईएडीएमके के 14,940 वोट हैं। मुर्मू के लिए बीजेडी या जगनमोहन रेड्डी की वाईआरएससीपी में से किसी एक का समर्थन पर्याप्त है। इन दोनों ने ही मुर्मू की उम्मीदवारी का खुलकर समर्थन किया है।
वैसे एनडीए को आदिवासियों के नेतृत्व वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के समर्थन की भी उम्मीद है। मुर्मू संथाल जनजाति की हैं। जेएमए गंभीरता से मुर्मू के समर्थन पर विचार कर रहा है। हालांकि वो विपक्ष का हिस्सा है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल, तेलुगु देशम पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसी पार्टियां भी मुर्मू का समर्थन कर सकती हैं।
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के लिए बहुत पॉजिटिव प्रतिक्रिया मिली है। कई दलों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एक विनम्र आदिवासी नेता को चुनने के एनडीए के फैसले की सराहना की है। यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि बीजेपी विरोधी दल भी अगर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते हैं।
मुर्मू के लिए क्रॉस वोटिंग की भी संभावना है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए होते हैं और विधायकों पर पार्टी व्हिप लागू नहीं होती है। राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव (एमएलसी) में क्रॉस वोटिंग का तमाशा पूरा देश हाल ही में देख चुका है।
एनडीए उम्मीदवार के पास आवश्यक बहुमत से लगभग 20,000 वोट कम हैं उसे बीजेडी जैसे मित्र दलों पर भरोसा था। हालांकि जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी, जो एनडीए से बाहर है, को भी केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी से जब-तब तालमेल करते देखा जा सकता है।
महाराष्ट्र में शिवसेना में बड़ी टूट और फूट का फायदा भी एनडीए उम्मीदवार को मिलेगा। शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे से भी अब पूरा समर्थन मिलेगा। शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर उनकी सरकार को संकट में डाल दिया है।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में 543 लोकसभा, 233 राज्यसभा और 4,033 विधानसभाओं के सदस्य शामिल हैं। सांसदों के वोट 5,43,200 हैं, विधानसभा सदस्यों के वोट 5,43,231 हैं, इस तरह यह कुल मिलाकर 1086431 वोट हैं। एनडीए लोकसभा और राज्यसभा में सबसे बड़ा समूह है, लेकिन इसे जीत हासिल करने के लिए अभी भी छोटे दलों और निर्दलीयों के समर्थन की जरूरत है। बीजेपी 18 राज्यों में सत्ता में है। उसे 1086431 वोटों में से 5,32,351 वोट मिलेंगे।
मुख्यमंत्री और बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने ओडिशा के सभी विधायकों से पार्टी लाइन से हटकर मुर्मू को वोट देने को कहा है। नवीन ने कहा ...ओडिशा की बेटी को चुनने के लिए सर्वसम्मत समर्थन दें...। संदेश साफ है। बीजेडी का सारा वोट मूर्मु को आएगा।
मुर्मू के नामांकन का स्वागत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी किया है। उनके बयान से बीजेपी और जेडीयू के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों पर फिलहाल राष्ट्रपति चुनाव के लिए विराम लग गया है। यानी जेडीयू मतभेदों के बावजूद मुर्मू को वोट देगी। अग्निपथ समेत तमाम मुद्दों पर जेडीयू और बीजेपी के बीच तनातनी सार्वजनिक है।
हो सकता है कि नीतीश की जेडीयू आगे चलकर एनडीए से अलग हो जाए लेकिन जिस तरह उन्होंने अतीत में किया है, उसे वो दोहरा सकते हैं। 2012 में एनडीए में होते हुए भी जेडीयू ने प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। प्रणब यूपीए के प्रत्याशी थे।
नीतीश कुमार इस बात पर बहुत खुश नजर आ रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन कर द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी की जानकारी दी। यह अलग बात है कि इन क्षेत्रीय दलों के विधायक और सांसद स्वतंत्र निर्णय लें और विपक्ष के प्रत्याशी को जिता दें। लेकिन ऐसा होना नामुमकिन लग रहा है।
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