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पुतिन से बोले मोदी- 'युद्ध के मैदान में कोई समाधान संभव नहीं'

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 9 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि शांति वार्ता बम, बंदूक और गोलियों के बीच सफल नहीं होती तथा युद्ध के मैदान में किसी भी संघर्ष का समाधान संभव नहीं है। दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन संघर्ष के मद्देनजर बातचीत हुई। पीएम ने पुतिन और विश्व समुदाय को आश्वस्त किया कि भारत शांति के पक्ष में है और यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में योगदान देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, 'नई पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए शांति सबसे ज़रूरी है। बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती।'

अपने रूस दौरे के दूसरे और अंतिम दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री ने पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। यह दो वर्षों में उनकी पहली बैठक थी। 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद यह पहली ऐसी बैठक भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का ज़िक्र किया। अपनी रूस यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि जब मासूम बच्चे मारे जाते हैं तो लोगों का दिल बैठ जाता है। 

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प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा कि, 'महामहिम, युद्ध, किसी भी संघर्ष या आतंकवादी कृत्यों को लें, कोई भी व्यक्ति जो मानवता में विश्वास करता है, उसे लोगों के मरने पर दर्द होता है, और विशेष रूप से जब मासूम बच्चे मरते हैं। जब हम ऐसा दर्द महसूस करते हैं, तो दिल बैठ जाता है।'

प्रधानमंत्री मोदी को रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को रूस के सबसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल द फर्स्ट-कॉल से सम्मानित किया। भारत और रूस के बीच साझेदारी और मित्रता को बढ़ावा देने के उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए पीएम मोदी को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यह सम्मान मिला। सम्मान प्राप्त करने के बाद पीएम मोदी ने पुतिन और रूस को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों का 'सम्मान' है और दोनों देशों के बीच सदियों पुरानी मित्रता का प्रतिबिंब है।

रूस सभी भारतीयों को छोड़ने पर सहमत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई चर्चा के बाद रूस ने अपनी सेना में कार्यरत सभी भारतीय नागरिकों को छोड़ने पर सहमति जताई है। एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष में लड़ते हुए कम से कम दो भारतीय नागरिकों की जान चली गई, तथा युद्ध क्षेत्र में फंसे कई अन्य लोगों का आरोप है कि उन्हें धोखे से युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।

इसी साल मार्च महीने में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नई दिल्ली ने ऐसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई के लिए रूसी सरकार के साथ मज़बूती से मामला उठाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि एजेंटों और बेईमान लोगों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई शुरू की गई है, जिन्होंने झूठे बहाने और वादों पर भर्ती की।

pm modi raises ukraine issue russia agrees to discharge all indians recruited by its army - Satya Hindi
रूस में फँसे लोगों ने मार्च में वीडियो पोस्ट किया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सीबीआई ने तब कई शहरों में तलाशी लेते हुए एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। कई एजेंटों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया। बता दें कि सीबीआई ने कहा है कि रूस स्थित तीन एजेंटों सहित विभिन्न एजेंटों ने कथित तौर पर संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दिया। रूस मुफ्त या रियायती वीज़ा एक्सटेंशन और फीस पर छूट जैसे आकर्षक ऑफर दे रहा है। सीबीआई ने कहा है कि उसे पता चला है कि रूस पहुँचने के बाद इन भारतीयों के पासपोर्ट रूस में एजेंटों द्वारा ले लिए गए और उन्हें उनकी मर्जी के विरुद्ध यूक्रेन युद्ध लड़ने के लिए रूस द्वारा मजबूर किया गया।

सीबीआई ने दिल्ली, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई में छापेमारी की थी। इस मामले में सीबीआई ने एफ़आईआर भी दर्ज की है। 6 मार्च को दर्ज की गई अपनी पहली एफआईआर में सीबीआई ने यह भी कहा कि एजेंट या मानव तस्कर रूस में संदिग्ध निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के बहाने भारतीय छात्रों को धोखा दे रहे हैं।

बहरहाल, सूत्रों ने संकेत दिया कि सोमवार रात व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित एक निजी रात्रिभोज के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया। जवाब में रूस ने अपनी सेना में सेवारत सभी भारतीयों को छोड़ने और उनकी वापसी में सहायता करने पर सहमति व्यक्त की।
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रॉयटर्स ने रिपोर्ट दी कि एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने पिछले सप्ताह समाचार एजेंसी को बताया कि रूस के साथ भारत के व्यापार असंतुलन को ठीक करना और यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए गुमराह किए गए भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करना मॉस्को में मोदी की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक होगा।

पीटीआई ने सूत्र के हवाले से कहा, 'हम चाहते हैं कि यूक्रेनी संघर्ष में लड़ रहे भारतीयों को रूसी सेना से जल्द से जल्द निकाला जाए।' जबकि रिपोर्टों में संकेत दिया गया है कि 200 से अधिक भारतीय नागरिकों को रसोइया और सहायक जैसे सहायक कर्मचारियों के रूप में काम करने के लिए रूसी सेना द्वारा भर्ती किया गया था। हालाँकि यह भी कहा गया गया है कि यह संख्या लगभग 100 हो सकती है। 

विदेश मंत्रालय ने पहले भारतीय नागरिकों से रूस में रोजगार के अवसर तलाशते समय सावधानी बरतने का आग्रह किया था।

कई भारतीय नागरिकों को भारतीय शहरों और दुबई में स्थित भर्ती एजेंटों द्वारा रूसी सेना में नौकरी दिलाने के लिए धोखा दिया गया।  भारतीयों ने ऐसी नौकरियों से बाहर निकलने के लिए मदद मांगते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो भी पोस्ट किए हैं।

मार्च महीने में पंजाब-हरियाणा के 7 युवाओं का एक वीडियो सामने आया था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें जबरन युद्ध में भेजा जा रहा है। उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि उन्हें बंदूक तक चलाने नहीं आती है। उन्होंने कहा कि वे रूस में पर्यटक के तौर पर घूमने गए थे, लेकिन धोखे से उन्हें युद्ध में झोंक दिया गया।

वायरल वीडियो में सात लोगों को एक कमरे के अंदर सेना की वर्दी पहने देखा जा सकता है। एक बंद खिड़की वाले कमरे में रिकॉर्ड किए गए वीडियो में उनमें से छह एक कोने में खड़े दिखते हैं और एक अन्य अपनी स्थिति के बारे में बता रहा है।

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वीडियो में एक युवक कहता है, 'हम 27 दिसंबर को नए साल के लिए पर्यटक के रूप में रूस घूमने आए और एक एजेंट से मिले जिसने हमें विभिन्न स्थानों पर घुमाने में मदद की। उन्होंने हमें बेलारूस ले जाने की पेशकश की, लेकिन हमें नहीं पता था कि हमें उस देश के लिए वीज़ा की ज़रूरत होगी। हम बेलारूस गए जहां हमने उसे पैसे दिए, लेकिन उसने और पैसे की मांग की। उसने हमें एक राजमार्ग पर छोड़ दिया क्योंकि हमारे पास उसे भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे।'

फिर उन्होंने आगे कहा, 'फिर हमें पुलिस ने पकड़ लिया जिसने हमें रूसी सेना को सौंप दिया। उन्होंने हमें लगभग तीन से चार दिनों तक किसी अज्ञात स्थान पर बंद कर दिया। बाद में उन्होंने हमें सहायक, ड्राइवर और रसोइया के रूप में काम करने के लिए उनके साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया और ऐसा न करने पर हमें 10 साल के लिए जेल भेजने की धमकी दी। अनुबंध उनकी भाषा में था जिसे हम समझ नहीं सके, लेकिन हमने उस पर हस्ताक्षर कर दिये। उन्होंने हमें एक प्रशिक्षण केंद्र में नामांकित किया और हमें बाद में एहसास हुआ कि उन्होंने हमें धोखा दिया है। उन्होंने हमें अपनी सेना में भर्ती किया और प्रशिक्षण दिया।'

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क़मर वहीद नक़वी
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