विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने रविवार को एक ख़त जारी कर सभी राजनीतिक दलों से कल के चुनाव में उन्हें वोट देने की अपील की है। इसमें उन्होंने मोटे तौर पर बीजेपी को निशाना बनाते हुए समर्थन मांगा है। सिन्हा ने कहा कि वह भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़े हैं, जबकि द्रौपदी मुर्मू को 'उन लोगों का समर्थन मिला है जो लोकतंत्र पर प्रतिदिन हमले कर रहे हैं।'
यशवंत सिन्हा ने अपने बयान में दोहराया कि राष्ट्रपति चुनाव दो उम्मीदवारों के बारे में नहीं है, बल्कि यह दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।
My appeal to all members of the electoral college ahead of the Presidential election tomorrow. pic.twitter.com/27JVgwC8ZN
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) July 17, 2022
रविवार को ट्विटर पर जारी बयान में यशवंत सिन्हा ने कहा है, 'मैं धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए खड़ा हूँ, जो हमारे संविधान की प्रस्तावना का स्तंभ है। मेरी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार उस पार्टी से हैं जिसने इस स्तंभ को नष्ट करने और बहुसंख्यक वर्चस्व स्थापित करने के अपने संकल्प को छुपाया नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'मैं आम सहमति और सहयोग की राजनीति को प्रोत्साहित करने के पक्ष में हूँ। मेरी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को एक ऐसी पार्टी का समर्थन प्राप्त है जो संघर्ष और टकराव की राजनीति करती है।'
सिन्हा ने कहा कि यदि मुर्मू को भारत के अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना जाता है तो वे उन लोगों के नियंत्रण में होंगी, जिनका उद्देश्य 'लोकतांत्रिक भारत को कम्युनिस्ट चीन के अनुकरणकर्ता में बदलना है।'
विपक्षी दलों के उम्मीदवार ने सांसदों और विधायकों को संबोधित करते हुए कहा है, 'एक राष्ट्र, एक पार्टी, एक सर्वोच्च नेता। क्या इसे रोका नहीं जाना चाहिए? हाँ, रोका जाना चाहिए। केवल आप इसे रोक सकते हैं।'
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने एक दिन पहले ही एक वीडियो जारी कर कहा है कि चुनाव असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है।
उन्होंने कहा, 'देश विभिन्न मोर्चों पर कई समस्याओं का सामना कर रहा है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण समस्या जिसका हम सामना कर रहे हैं, वह हमारे संविधान की रक्षा और सुरक्षा की है।' उन्होंने कहा कि चुनाव दो व्यक्तियों के बीच नहीं बल्कि दो विचारधाराओं के बीच का चुनाव है।
शनिवार को उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया और सभी विधायकों और सांसदों से अपने विवेक के अनुसार वोट करने का आग्रह किया।
नौकरशाह से राजनेता बने यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश और वित्त मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला था। लेकिन मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने बीजेपी पर हमले शुरू कर दिए थे और आख़िरकार वह पार्टी से अलग हो गए थे।
बहरहाल, मुर्मू के आदिवासी होने की वजह से कई विपक्षी दल भी उनको समर्थन देने की बात कह रहे हैं। ओडिशा में बीजेडी, झारखंड में जेएमएम और पश्चिम बंगाल में टीएमसी जैसे दलों को छोड़ भी दें तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना बीजेपी की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करती नज़र आ रही है। यह वही उद्धव ठाकरे हैं जिनकी कुर्सी कथित तौर पर बीजेपी की वजह से चली गई, क्योंकि शिवसेना के ही बागी के साथ उसने सरकार बना ली। उद्धव खेमा ही आरोप लगाता रहा है कि बीजेपी ने महा विकास अघाडी सरकार को गिरा दिया। ये चीजें यशवंत सिन्हा के पक्ष में नहीं दिखती हैं।
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